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कृषि मंत्री कंवरपाल गुर्जर की टिकट पर भी लटकी तलवार!

10:18 AM Sep 04, 2024 IST

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 3 सितंबर
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के आधा दर्जन से अधिक कैबिनेट सहयोगियों पर तलवार लटकी है। इनमें तीन कैबिनेट और चार राज्य मंत्री शामिल हैं। प्रदेश के कृषि मंत्री और भाजपा के पुराने नेताओं में शामिल कंवर पाल गुर्जर की टिकट पर भी संकट के बादल गहरा गए हैं। गुर्जर को उनके निर्वाचन क्षेत्र जगाधरी से बदल कर नारायणगढ़ से चुनाव लड़वाने की पेशकश भी अंदरखाने हो चुकी है। लेकिन वे हलका बदलने को राजी नहीं हैं।
2014 में चुनाव जीतने के बाद विधानसभा अध्यक्ष बने गुर्जर ने 2019 में फिर जीत हासिल की और वे शिक्षा मंत्री। 12 मार्च को सरकार में हुए बदलाव के बाद उन्हें कृषि मंत्री बना दिया गया। इससे पहले वे छछरौली (खत्म हो चुका हलका) से भी विधायक बन चुके हैं। गुर्जर संघ पृष्ठभूमि के हैं और पुराने भाजपाइयों में उनकी गिनती होती है। गुर्जर की जगह इस बार संघ पृष्ठभूमि के ही एडवोकेट मुकेश गर्ग को जगाधरी से चुनाव लड़वाए जाने की चर्चाएं हैं। मनोहर सरकार में लॉ आयोग के सदस्य रहे मुकेश गर्ग वर्तमान में हरियाणा राज्य बिजली विनियामक आयोग (एचईआरसी) के सदस्य हैं। मुकेश गर्ग यमुनानगर कोर्ट में लम्बे समय तक प्रेक्टिस भी करते रहे हैं। इसी तरह प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री बनवारी लाल की टिकट पर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। बावल से लगातार दो बार चुनाव जीतने वाले बनवारी लाल ने कांग्रेस छोड़कर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के साथ ही भाजपा में एंट्री की थी।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ़ कमल गुप्ता की टिकट पर भी तलवार लटकी है। सर्वे रिपोर्ट और हिसार की ग्राउंड रियल्टी को ध्यान में रखते हुए भाजपा इस बार हिसार से नये चेहरे को मैदान में उतारनी चाहती है। हिसार की सीट जिंदल परिवार के खाते में जा सकती है। कमल गुप्ता 2014 में पहली बार उस समय हिसार विधायक व कांग्रेस सरकार में मंत्री सावित्री जिंदल को चुनाव हराकर विधानसभा पहुंचे थे। अब नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद हैं। ऐसे में उनकी माता सावित्री जिंदल या पत्नी शालू जिंदल में से किसी को भी हिसार से टिकट मिल सकता है। पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के राज्य मंत्री संजय सिंह को टिकट मिल पाएगी, इस पर भी दुविधा है। संजय सिंह पहली बार 2019 में सोहना से विधायक बने। उस समय भाजपा ने सोहना के मौजूदा विधायक तेजपाल तंवर की टिकट काटकर संजय सिंह को चुनाव लड़वाया था। बताते हैं कि टिकट को बचाए रखने के लिए संजय सिंह केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पार्टी के दूसरे राजपूत नेताओं के यहां भी लॉबिंग कर रहे हैं।
बड़खल से दो बार की विधायक सीमा त्रिखा की टिकट पर भी खतरे के बादल मंडराए हुए हैं। 2014 में विधायक बनने के बाद उन्हें मनोहर सरकार में मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया। वहीं अब नायब सरकार में वे शिक्षा मंत्री हैं। सीमा त्रिखा की जगह बड़खल से रेणु भाटिया का नाम भाजपा गलियारों में चल रहा है।

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बंतो कटारिया पर सढ़ौरा से दांव

हालिया लोकसभा चुनाव में अंबाला से भाजपा प्रत्याशी रहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को सढ़ौरा हलके से विधानसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है। यहां से वर्तमान में कांग्रेस की रेणु बाला विधायक हैं। भाजपा सढ़ौरा से बंतो कटारिया के अलावा जिला शिक्षा अधिकारी पद से वीआरएस लेने वाली सुमन का नाम भी चर्चाओं में है। सुमन के पति और जिला आयुर्वेदिक अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए सतपाल पर भी पार्टी द्वारा चर्चा की गई है। पूर्व विधायक बलवंत सढ़ौरा भी टिकट के लिए भागदौड़ कर रहे हैं।

रादौर, इंद्री सीट आपस में जुड़ी

2014 में इंद्री से विधायक बने कर्णदेव काम्बोज, मनोहर सरकार में राज्य मंत्री रहे। 2019 के चुनावों में भाजपा ने रादौर से सिटिंग विधायक श्याम सिंह राणा की टिकट काटकर उनकी जगह इंद्री से काम्बोज को रादौर शिफ्ट कर दिया। श्याम सिंह राणा इनेलो में शामिल हो गए थे और अब वे सीएम नायब सिंह सैनी की अगुवाई में भाजपा में वापसी कर चुके हैं। राणा का नाम रादौर से चर्चाओं में है। वहीं काम्बोज की दलील है कि उन्होंने पांच साल रादौर हलके में काम किया है। पार्टी उन्हें फिर इंद्री शिफ्ट करने पर मंथन कर रही है।

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