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डीएपी खाद को लेकर सीमाओं पर नजर रखेगा कृषि विभाग

08:11 AM Oct 16, 2024 IST

अरविंद शर्मा/हप्र
जगाधरी, 15 अक्तबूर
हफ्तों से चल रही डीएपी खाद की किल्लत को लेकर अब कृषि विभाग और संजीदा हो गया है। जानकारी के अनुसार सरकार से इस बाबत चिठ्ठी आने के बाद अब इसे लेकर और कदम उठाने कृषि विभाग जा रहा है। इनमें साथ लगते राज्यों की सीमाओं पर निगरानी रखना भी शामिल है। दो हफ्ते बाद गेंहू की बिजाई का सीजन शुरू होने वाला है। धान की फसल समेटने के साथ किसान गेंहू, बरसीम आदि की बिजाई की तैयारी शुरू कर देंगे। वहीं इन दिनों गन्ना, आलू व सरसों की बिजाई चल रही है। जानकारी के अनुसार काफी समय से जिले में डीएपी खाद नहीं है। इसे लेकर भारतीय किसान यूनियन भी चिंता जता चुकी है। गेंहू बिजाई का सीजन शुरू होने से पहले ही किसान खाद, बीज आदि इंतजाम करना चाहता है। अब से लेकर मार्च तक जिले में लगभग 15 हजार एमटी डीएपी खाद की खपत होगी। अक्तूबर माह से ही इसका इस्तेमाल फसल बिजाई में शुरू हो जाएगा। जानकारी के जिले में 3 दिन पहले तक करीब 15 हजार बैग डीएपी पीओएस मशीनों के अनुसार था।

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सीमाओं पर रखी जाएगी नजर

अभी तक यूरिया खाद की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने के लिए विशेष चौकसी रखी जाती थी,क्योंकि एग्री ग्रेड का यूरिया खाद प्लाईवुड फैक्टरियों में जाने का खतरा होता है। इनमें केवल टेक्नीकल ग्रेड का यूरिया ही ग्लू बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। डीएपी खाद को लेकर कृषि विभाग चौकस हो गया है। इसे लेकर साथ लगती यूपी, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड की सीमाओं पर विशेष नजर रखी जाएगी। इसके अलावा डीएपी खाद की बिक्री पीओएस मशीन से हो इसका विशेष ख्याल रखा जाएगा। कुल खाद का 40 फीसदी सहकारी बिक्री केंद्रों पर जाएगा।

कृषि उप निदेशक बोले

कृषि विभाग के उप निदेशक डा. आदित्य प्रताप डबास का कहना है कि अभी किसानों को डीएपी, यूरिया आदि खाद की ज्यादा जरूरत भी नहीं है। डा. डबास का कहना है कि जल्दी ही डीएपी खाद का रैक लग जाएगा। उनका कहना है कि डीएपी की कालाबाजारी न हो इसे लेकर जिले के साथ लगती दूसरे राज्यों की सीमाओं पर विशेष चौकसी रखी जाएगी। डा. डबास का कहना है कि खाद का वितरण कायदे से किया जाएगा। विक्रेताओं का इसके स्टाक, बिक्री आदि का पूरा रिकार्ड रखना होगा। उनका कहना है कि 20 अतूबर के बाद डीएपी खाद की आवक शुरू हो जाएगी। उप निदेशक का कहना है कि किसानों को खाद व बीज आदि को लेकर कोई दिक्कत नहीं होने दी जाएगी।

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