गुणवत्ता की आयु
06:38 AM Aug 22, 2023 IST
एक शहर में एक वैद्य रहते थे। उनके जीवन के सात दशक परिवार के दायित्वों में बीते गये। समाज में धनार्जन व प्रतिष्ठा के लिहाज से वे समृद्ध थे। कालांतर उन्हें बोध हुआ कि वे दायित्वों से मुक्त हो गये हैं। उन्हें समाज के लिये कुछ करना चाहिए। वे प्राणपण से लोगों की मदद करने लगे। प्रतिभावानों की मदद करते थे। तभी एक बड़ी महामारी फैली। उन्होंने अपनी जान जोखिम में डाल लोगों की मदद की। उनकी समाज सेवा की ख्याति दूर-दूर तक फैल गई। एक जिज्ञासु ने उनकी सेवा की प्रतिबद्धता देख पूछा-आपकी आयु कितनी है। वे चेहरे में मुस्कान लाते हुए बोले- ‘पांच साल’। बोले 65 साल तो सांसारिक कार्यों में बीत गये। पिछले पांच साल में मैं भगवान व सेवा के महत्व को समझ पाया हूं। इन पांच वर्षों को ही मैं अपनी सार्थक आयु मानता हूं।
Advertisement
प्रस्तुति : डॉ. मधुसूदन शर्मा
Advertisement
Advertisement