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टॉयलेट टैक्स, समोसा विवाद के बाद अब ‘जंगली मुर्गा’ मुद्दे पर घिरे सुक्खू

07:21 AM Dec 15, 2024 IST
हिमाचल के कुपवी क्षेत्र में ‘सरकार गांव के द्वार’ कार्यक्रम के दौरान मंत्रिमंडल सहयोगियों के साथ भोजन करते मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू। - एएनआई

ज्ञान ठाकुर/हप्र
शिमला, 14 दिसंबर
विवाद हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का पीछा ही नहीं छोड़ रहे। सुक्खू अभी टॉयलेट टैक्स और समोसा विवाद से बाहर भी नहीं निकले हैं कि अब जंगली मुर्गा विवाद ने उन्हें घेर लिया है। हुआ यूं कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू शिमला जिला के कुपवी दौरे पर गए थे। इस दौरान उनके साथ स्थानीय जनता के लिए रात्रि भोज भी तैयार किया गया। इससे संबंधित एक मैन्यू सोशल मीडिया में वायरल हुआ, जिसमें जंगली मुर्गे का उल्लेख भी आया है। भाजपा का आरोप है कि संरक्षित प्रजाति का जंगली मुर्गा मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में परोसा गया, जो नियमों के विपरीत है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने जंगली मुर्गे का विषय सामने आने पर अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि नॉन वैज पहाड़ी क्षेत्र का जीवन है, लेकिन वह नॉन वैज नहीं खाते। उन्होंने कहा कि इस विषय में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का जो बयान सामने आया है, वह ठीक वैसा ही है, जैसा कि उनकी तरफ से टॉयलेट टैक्स और समोसे को खाने को लेकर बयान दिया गया था। सुक्खू ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि लगता है कि विपक्ष ने ऐसे विषयों पर पीएचडी कर रखी है, जिससे विवाद खड़ा किया जा सके। उन्होंने वीडियो में इसे दूसरे मंत्रियों को परोसने के लिए भी कहा। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हाे गया। बस फिर क्या था भाजपा ने इस मुद्दे पर सरकार काे घेर लिया और भाजपा के नेताओं ने इस पर सवाल उठाना शुरू कर दिए।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कटाक्ष करते हुए कहा कि जिनको जनमंच के फुलके अखर रहे थे। वह जंगली मुर्गे का शिकार करके उसका आहार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जंगली मुर्गा संरक्षित प्रजाति की श्रेणी में आता है और इसका शिकार करने वालों को जेल होती है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की तरफ से पहले मुर्गा खिलाने का मैन्यू छपवाया जाता है तथा बाद में इसको वह अपने मंत्रियों को चटखारे लेकर खिलाने की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि संरक्षित प्रजाति का शिकार एवं वध करना आपराधिक कृत्य है, जिसके लिए 3 से 7 वर्ष की सजा हो सकती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गांव-गांव जाकर पिकनिक मना रहे हैं। पूर्व मंत्री एवं भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने जंगली मुर्गे को धार्मिक आस्था से जोड़कर बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि दक्षिण भारत में इसकी पूजा की जाती है, लेकिन प्रदेश के मुखिया इसको प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने कहा कि संरक्षित प्रजाति का शिकार करने पर तुरंत संज्ञान लिया जाना चाहिए तथा इस विषय में तुरंत नियमों के अनुसार कार्रवाई होनी चाहिए। प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने कहा कि सोशल मीडिया में जिस तरह से मुख्यमंत्री का वीडियो वायरल हो रहा है, उससे गलत संदेश जनता के बीच जा रहा है।

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मीडिया के सामने माफी मांगें सीएम : बरागटा

भाजपा नेता चेतन बरागटा ने कहा कि वीडियो में साफ दिख रहा है कि मुख्यमंत्री खुद दूसरे मंत्रियों और अधिकारियों को जंगली मुर्गे परोसने के लिए कह रहे हैं। इस घटना से साफ पता चलता है कि प्रदेश सरकार कितनी गंभीर है। मुख्यमंत्री को आगे आकर इस घटना पर प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।

हिमाचल में जंगली मुर्गे का शिकार प्रतिबंधित

हिमाचल प्रदेश में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत जंगली मुर्गे का शिकार प्रतिबंधित है। हिमाचल के 3000 फीट से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जंगली मुर्गे पाए जाते हैं। सीएम सुक्खू शुक्रवार दोपहर इसी तरह के दुर्गम क्षेत्र कुपवी पहुंचे। यहां सीएम ने क्षेत्र की 2178 महिलाओं को 1500-1500 रुपए देने की घोषणा की।

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