पांच करोड़ टैबलेट की चोरी के बाद सरकार ने बनाई सख्त योजना
जुपिंदरजीत सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 8 मार्च
पंजाब में अब नशामुक्ति दवाओं की चोरी और फर्जी मरीजों के खेल पर पूरी तरह से लगाम लगाने की तैयारी है। सरकार ने राज्य के 702 ओओएटी (आउटपेशेंट ओपिऑयड असिस्टेड ट्रीटमेंट) क्लीनिकों में दो-स्तरीय बायोमेट्रिक सिस्टम लगाने का फैसला किया है। इस तकनीक से यह पक्का होगा कि दवा सही मरीज को ही मिले और कोई फर्जीवाड़ा न हो।
2019-20 में पंजाब में नशामुक्ति दवाओं की भारी चोरी सामने आई थी। करीब 5 करोड़ ब्यूप्रेनोर्फिन टैबलेट ग़ायब हो गई थीं, और जांच के बाद 23 बड़े क्लीनिकों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए। इसी दवा की चोरी का खुलासा करने वाली एफडीए अफसर डॉ. नेहा शोरी की 2019 में हत्या कर दी गई थी! इस हत्याकांड ने पूरे प्रशासन को हिला दिया था।
अब ऐसे रुकेगी दवा की चोरी
नई व्यवस्था के तहत, मरीजों की पहचान दो स्तरों पर होगी—
1. पहला स्तर – मरीज जब क्लीनिक में आएगा, तो उसकी फिंगरप्रिंट स्कैनिंग होगी, जिससे उसकी फाइल खोली जाएगी।
2. दूसरा स्तर – जब डॉक्टर या फार्मासिस्ट उसे दवा देंगे, तब दोबारा बायोमेट्रिक स्कैन होगा, जिससे सही मरीज को ही दवा दी जा सके। आधार कार्ड से जुड़े इस सिस्टम से फर्जी मरीजों की एंट्री और दवा की काला बाजारी रोकने में मदद मिलेगी।
आप सरकार की ‘नई जंग’
पंजाब में नशे के खिलाफ इस सख्त कदम को भगवंत मान सरकार की नयी रणनीति माना जा रहा है। खास बात यह है कि दिल्ली चुनाव हारने के बाद आप सरकार ने नशे के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज कर दिया है। बायोमेट्रिक सिस्टम का ट्रायल चल रहा है और जल्द ही इसे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा।