सरपंचों के बाद अब पंचायत समिति सदस्यों ने खोला मोर्चा
गुंजन कैहरबा/निस
इन्द्री, 27 जुलाई
पंचायत एवं इसके मुखिया सरपंचों के अधिकारों को बढ़ाकर सरकार ने साध लिया है, लेकिन अब जिला व गांव के बीच की महत्वपूर्ण इकाई पंचायत समिति सदस्य अपने अधिकारों और मांगों के लिए सड़क पर आ गए हैं। खंड व जिला स्तर पर विधायकों व राज्य सरकार के प्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपने के बाद पंचायत समिति सदस्यों ने सीएम सिटी करनाल में जिला सचिवालय के सामने राज्य स्तरीय अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। पंचायत समिति सदस्यों में इस बात को लेकर रोष है कि जिला व गांव को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण इकाई होने के बावजूद उनके अधिकारों की सरकार को फिक्र नहीं है। सदस्यों ने आरोप लगाया कि जनता द्वारा चुने गए सदस्यों को अधिकारविहीन बना देना उनके पद को निरस्त करने जैसा ही है।
सरपंचों ने ई-टेंडरिंग व राईट टू रिकॉल का जोरदार विरोध करते हुए एक साल से भी अधिक समय तक आंदोलन किया था। जिसके बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अगुवाई में पंचायतों को 21 लाख तक के काम करने के अधिकार दिए गए।
पंचायती राज व्यवस्था के तीन स्तरों में बीच की पंचायत समिति की इकाई से जुड़े जनप्रतिनिधि अभी भी अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। पंचायत समिति सदस्यों ने अपनी शक्तियों को बढ़ाने व अधिकार दिए जाने सहित मांगों के लिए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
पंचायत समिति के वाइस चेयरमैन सुमित मंढ़ाण ने कहा कि पंचायत समिति के सदस्यों की सरकार लगातार उपेक्षा कर उनके अधिकारों को सीमित कर रही है। जिसे किसी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने शीघ्र ही सदस्यों की मांगों की तरफ ध्यान नहीं दिया तो समिति सदस्यों के साथ उनके क्षेत्र की जनता के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
कैथल जिला के पंचायत समिति के वार्ड-30 के सदस्य रणधीर संधू ने कहा कि प्रदेश में तीन हजार से अधिक पंचायत समिति सदस्य हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पंचायत समिति के पद को निरस्त करने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि धरने पर बैठे सदस्यों के बीच सीएम खुद पहुंचें और मांगें पूरी करें, वरना आने वाले दिनों में आंदोलन तेज होता जाएगा।
82 लाख तक की पावर प्रदान की जाए : सुमित मंढ़ाण
इन्द्री पंचायत समिति के वाइस चेयरमैन सुमित मंढ़ाण ने कहा कि यदि अधिकार नहीं देने हैं तो सरकार पंचायत समिति के चुनाव ही करवाना बंद कर दे, क्योंकि बिना अधिकारों व शक्तियों के वे किसी कार्य में योगदान नहीं दे पा रहे। मंढ़ाण ने कहा कि सरंपचों को सरकार ने 21 लाख तक की राशि विकास कार्यों में खर्च करने की पावर दी है। उनकी मांग है कि पंचायत समिति सदस्यों को 82 लाख तक की पावर लिमिट प्रदान की जाए।