मानेसर के बाद अब अंबाला, सोनीपत नगर निगमों के चुनाव पर अड़चन
चंडीगढ़, 12 जनवरी (ट्रिन्यू)
सोनीपत और अंबाला के मेयरों के विधायक बनने के बाद राज्य सरकार भले ही इन दोनों खाली सीटों पर उपचुनाव कराने की तैयारी कर रही है, लेकिन कानूनन ऐसा संभव नहीं है। हरियाणा विधानसभा द्वारा चार साल पूर्व नगर निगम कानून में किए गए संशोधन के फलस्वरूप किसी भी कारण से खाली हुए मेयर के पद पर उपचुनाव नहीं कराया जा सकता। राज्य चुनाव आयोग की ओर से हालांकि जनवरी माह के अंत में शहरी निकायों के पहले चरण के चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया जा सकता है।
पहले यह चुनाव चार फरवरी तक पूरा हो जाना था, लेकिन राज्य चुनाव आयोग द्वारा हाई कोर्ट में समय मांग लिए जाने तथा राज्य सरकार के दिल्ली में पांच फरवरी को हो रहे विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे होने के कारण हरियाणा में शहरी निकाय चुनाव देरी से हो सकता है। राज्य में कई नगर निगम तो ऐसे हैं, जो कि दो से ढ़ाई साल से खाली पड़े हैं और वहां चुनाव नहीं होने की वजह से विकास के काम प्रभावित हो रहे हैं।
अंबाला नगर निगम की मेयर शक्ति रानी शर्मा कालका से भाजपा की विधायक बन चुकी हैं, जबकि सोनीपत नगर निगम के मेयर निखिल मदान भी भाजपा के विधायक बन चुके हैं। राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग इन दोनों मेयर के पदों को भरने के लिए उपचुनाव कराने की तैयारी में है, लेकिन इसमें बड़ी कानूनी बाधा है। हरियाणा में फरीदाबाद और गुरुग्राम नगर निगम सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण हैं, जिनका करोड़ों का बजट होता है।
इन दोनों नगर निगमों में वर्ष 2022 से आम चुनाव लंबित हैं, जबकि चार वर्ष पूर्व दिसंबर 2020 में गठित मानेसर नगर निगम के आज तक पहले आम चुनाव ही नहीं कराए गए हैं। मानेसर में भी आबादी को लेकर विवाद चला हुआ है। किसी भी नगर निगम में आबादी करीब तीन लाख होनी चाहिए, मगर मानेसर में यह 1.60 लाख के आसपास है। कानूनी आधार पर मानेसर नगर निगम में जून 2026 तक चुनाव कराए जा सकते हैं। हिसार, करनाल, पानीपत, रोहतक और यमुनानगर नगर निगमों में ताजा आम चुनाव वर्ष 2024 से लंबित हैं।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के वकील हेमंत कुमार के अनुसार अंबाला व सोनीपत नगर निगमों का कार्यकाल जनवरी 2026 तक शेष है, परंतु इन दोनों नगर निगमों के मेयर विधायक बन चुके हैं तो ऐसे में यहां उपचुनाव कराया जाना प्रस्तावित है। हरियाणा नगर निगम कानून 1994 की धारा आठ ए के अनुसार किसी भी निगम का मेयर या सदस्य एक साथ दो सदनों का सदस्य नहीं रह सकता। इसी वजह से आठ अक्टूबर 2024 को मेयर के दोनों पद खाली घोषित किए जा चुके हैं।
नवंबर 2020 में कानून में किए गए एक संशोधन के मुताबिक किसी भी नगर निगम के मेयर का पद, बेशक वह किसी भी कारण से रिक्त हुआ हो, उसे राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा उपचुनाव से नहीं भरा जा सकता।