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आखिर गिरकर कहां जाती है सरकार

07:30 AM Jan 31, 2024 IST
आखिर गिरकर कहां जाती है सरकार
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मनु पंवार

पहले बात तो यही समझ में नहीं आती कि आखिर सरकार गिरती ही क्यों है? अपन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने पर सीना ठोकते हैं मगर इतने मजबूत और इतने विराट लोकतंत्र के गर्भ से इतनी गिरी हुई सरकार कैसे पैदा हो जाती है? क्या हम उस लोकतंत्र को सही पोषण नहीं दे पा रहे हैं?
दूसरी बात ये कि सरकार गिरती है, तो कितना गिरती है? क्या उस गिरने की कोई सीमा होती है? क्या सरकार के गिरने का कोई पैमाना भी होता है? कभी किसी नेता ने डॉलर के मुकाबले रुपये के गिरने से सरकार की साख गिरने की एक नई राजनीतिक व्याख्या दी थी। क्या सरकार उससे भी नीचे गिरती है?
सवाल तो यह भी है कि जब सरकार गिरती है तो क्या आवाज़ नहीं होती? क्या सरकार को साइलेंट मोड में गिरना पसंद है? क्या सरकार को वाइब्रेशन मोड से डर लगता है? अगर सरकार के गिरने की कोई आवाज़ होती है तो किसी को सुनाई क्यों नहीं देती? कहीं ऐसा तो नहीं कि सरकार बेआवाज़ ही गिर जाती हो? अगर बेआवाज़ गिर जाती है तो हम ये झूठी उम्मीद क्यों लगाए बैठे रहते हैं कि हमारे माननीय विधायक, हमारे माननीय सांसद, हमारे जनप्रतिनिधि सदन में हमारी आवाज़ बनेंगे? फिर हम क्यों ऐसा भ्रम पाले रहते हैं कि सरकार हमारी आवाज़ सुनेगी?
सबसे बड़ा सवाल तो यह भी है कि सरकार का गिरना एक घटना है, दुर्घटना है या एक स्वाभाविक प्रक्रिया है? हाल ही में कलियुग से डायरेक्ट ‘त्रेतायुग’ रिटर्न्स मार चुके बंदे इन दिनों उचक-उचक कर कह रहे हैं कि सरकार का गिरना एक दैवीय आपदा है। वह इसे ईश्वरीय न्याय ठहरा रहे हैं। तो फिर गिरने वाले के साथ ईश्वरीय न्याय क्यों नहीं हुआ?
सवाल यह भी है कि अगर सरकार गिरती है तो फिर उठती क्यों नहीं है? क्या सरकार में गिरकर उठने का जिगरा नहीं होता? क्या गिरने के बाद सरकार की अपनी सारी क्षमतायें ख़त्म हो जाती हैं? क्या उसके हाथ-पैर काम करना बंद कर देते हैं? उसे मरहम का वो विज्ञापन प्रेरित क्यों नहीं करता जिसमें दावा किया जाता है कि आयोडेक्स मलिए, काम पर चलिए?
एक बुनियादी प्रश्न ये भी है कि जब सरकार गिरती है तो कोई उस गिरी हुई सरकार को उठाता क्यों नहीं है? कहीं ऐसा तो नहीं कि सरकार गिरकर सीधे पाताल पहुंच जाती हो? लेकिन हमारे पास तो ऐसे नेता भी हैं जो भरी सभा में अपना सीना ठोक-ठोक कर कहते रहे हैं कि पाताल से भी खोज निकालूंगा। तो फिर सरकार को पाताल से ढूंढ़ लाने के जतन क्यों नहीं होते?
किसी को इन सवालों के जवाब पता चलें तो कृपया करके हमें भी बताएं।

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