आखिर गणेश ने काबिलियत से छूकर दिखायी बुलंदियां
कम शारीरिक लंबाई वाली कई महान शख्सियतें इतिहास में हुईं जिन्होंने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। गुजरात निवासी डॉ. गणेश बरैया का व्यक्तित्व भी इसी तथ्य का प्रमाण है। जिन्हें नीट क्लियर करने के बावजूद एमबीबीएस में दाखिले के लिए ही कड़ा संघर्ष करना पड़ा था। लेकिन तमाम बाधाओं को हराकर अब वे डॉक्टर बनकर मानवता की सेवा कर रहे हैं।
लोकमित्र गौतम
गुजरात के भावनगर जिले के सरकारी अस्पताल में इन दिनों इंटर्न कर रहे डॉ. गणेश बरैया, देश-विदेश के मीडिया की सुर्खियों में हैं। वजह यह है कि उनका कद महज तीन फुट है। वह दुनिया के सबसे छोटे कद के डॉक्टर हैं। लेकिन सवाल है महज अपने कद की वजह से डॉ. बरैया मीडिया की सुर्खियों में कैसे आ गये? इसकी वजह यह कि उन्हें यह मुकाम हासिल करने को लंबी जद्दोजहद करनी पड़ी।
सुप्रीम कोर्ट तक किया संघर्ष
दरअसल साल 2018 में जब गणेश बरैया ने नीट यानी एनईईटी परीक्षा पास कर ली, तो भी उन्हें एमबीबीएस के लिए किसी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं दिया गया। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने बरैया का एडमिशन फॉर्म खारिज कर दिया कि उनकी लंबाई बहुत कम थी। कारण बताया कि कम ऊंचाई के कारण आपातकालीन मामलों को संभालने में वे सक्षम नहीं हो पायेंगे। लेकिन गणेश बरैया ने हार नहीं मानी। अपने प्रिंसिपल की मदद से वह गुजरात के शिक्षा मंत्री से मिलने गए। फिर गुजरात हाईकोर्ट में याचिका डाली, जो रिजेक्ट हो गई। सुप्रीम कोर्ट तक गये व जीत मिली। अगले साल 2018 में भावनगर जिला मेडिकल कॉलेज में उनका एडमिशन हुआ।
अब सेवा की शुरुआत
आज डॉ. गणेश बरैया भावनगर के ही सरकारी अस्पताल से इंटर्न के रूप में शुरुआत कर रहे हैं। डॉ. बरैया के साथ मेडिकल काउंसिल से लेकर हाईकोर्ट तक ने जो किया, वह न केवल एक प्रतिभा का अनादर था बल्कि इतिहास की भी अनदेखी थी। क्योंकि इतिहास में काबिलियत कभी भी कद की गुलाम नहीं रही। पूरी दुनिया में कई छोटे कद के बड़े सितारे मौजूद हैं, जिनकी प्रतिभा का दुनिया लोहा मानती रही है।
महात्मा गांधी का असल कद
महात्मा गांधी 20वीं शताब्दी की सबसे बड़ी राजनीतिक शख्सियत माने जाते हैं, लेकिन उनकी लंबाई महज 5 फुट 5 इंच थी। इसी हाइट के साथ उन्होंने मुंबई के ग्वालिया टैंक पार्क में देशवासियों से अंग्रेजों के विरुद्ध ‘करो या मरो’ का आह्वान किया और अंग्रेजों से कहा, ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’। दरअसल विचार या काबिलियत कभी भी कद या वजन की गुलाम नहीं होती। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भी महज 5 फीट 2 इंच के थे। लेकिन उन्होंने पाकिस्तान को 1965 के युद्ध में धूल चटाई। इतिहास में बादशाह अकबर और यूरोप विजेता नेपोलियन की भी लंबाई कम ही थी।
कम हाइट, पर कमाल के वैज्ञानिक
विज्ञान की दुनिया में तो कई महान शख्सियतें हुई, जिनका कद बहुत छोटा था। सर आइजक न्यूटन का कद महज 5 फीट, 6 इंच था। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की, बल के नियमों का गठन किया तथा गति के सिद्धांत प्रतिपादित किए। वैज्ञानिक मैडम क्यूरी ने रेडियम को शुद्ध करने का फार्मूला इजाद किया उनका कद 5 फुट था। भारत में सबसे लोकप्रिय खेल क्रिकेट को ही लें। सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, विनोद कांबली जैसे सारे महान बल्लेबाज छोटे कद के ही हुए हैं। सचिन तेंदुलकर महज 5 फुट, 5 इंच के हैं। इससे साफ है कि कभी भी किसी की प्रतिभा, काबिलियत या हासिल की जाने वाली ऊंचाई का संबंध उसके शारीरिक कद का गुलाम नहीं होता। - इ.रि.सें.