24 साल बाद मनीष तिवारी की मुराद हुई पूरी
दिनेश भारद्वाज
चंडीगढ़, 14 अप्रैल
पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की 24 वर्षों पुरानी चाहत इस बार पूरी होगी। वे 1999 से ही पंजाब व हरियाणा की संयुक्त राजधानी और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा पाले हुए थे। पार्टी के दिग्गज नेताओं में शुमार पवन बंसल उनकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा बने हुए थे। इस बार कांग्रेस नेतृत्व में मजबूत पैठ और समीकरणों के चलते मनीष तिवारी चंडीगढ़ से टिकट हासिल करने में कामयाब रहे हैं।
चंडीगढ़ कांग्रेस के मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष हरमोहिंद्र सिंह ‘लक्की’ की भूमिका भी राजधानी में हुए इस बदलाव में अहम मानी जा रही है। इस बार लक्की ने भी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मजबूती से अपना दावा ठोका हुआ था। पार्टी की ओर से चंडीगढ़ के लिए बनाए गए पैनल में पवन बंसल, मनीष तिवारी और लक्की के नाम शामिल थे। सूत्रों का कहना है कि करीब दो सप्ताह पूर्व लक्की को दिल्ली बुलाकर स्पष्ट कर दिया गया था कि इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा।
अलबत्ता लक्की से प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते चंडीगढ़ के प्रत्याशी को लेकर सुझाव जरूर मांगा गया था। बताते हैं कि लक्की ने नये चेहरे को टिकट दिए जाने की वकालत की थी। दिल्ली से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल का भी मनीष तिवारी को टिकट दिलवाने में अहम रोल रहा है। वेणुगोपाल और मनीष तिवारी के बीच पुराने संबंध हैं। पवन बंसल की टिकट कटने के पीछे एक कारण यह भी रहा कि 2014 और 2019 में लगातार दो बार वह भाजपा की मौजूदा सांसद किरण खेर के मुकाबले चुनाव हार चुके हैं।
बताते हैं कि पवन बंसल की पार्टी नेतृत्व में पकड़ भी ‘कमजोर’ पड़ गई है। लगभग 75 वर्षीय पवन बंसल मनमोहन सरकार में रेल मंत्री भी रहे हैं। उन्हें पार्टी का कोषाध्यक्ष भी बनाया गया। कांग्रेस जानकारों का कहना है कि कोषाध्यक्ष पद पर रहते हुए भी पवन बंसल के खट्टे-मीठ अनुभव रहे। चंडीगढ़ से टिकट लेने में कामयाब रहे मनीष तिवारी लुधियाना से भी सांसद रह चुके हैं। वर्तमान में वे आनंदपुर साहिब से लोकसभा सांसद हैं।
रोचक होगा मुकाबला : इस बार चंडीगढ़ में चुनावी मुकाबला बड़ा दिलचस्प होगा। चंडीगढ़ सीट से इस बार आम आदमी पार्टी अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी। आप की ओर से कांग्रेस का समर्थन किया जाएगा। चंडीगढ़ की सीट ‘इंडिया’ गठबंधन के तहत कांग्रेस के खाते में आई है। कांग्रेस और आप चंडीगढ़ के अलावा हरियाणा और दिल्ली में भी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। हरियाणा में आप को कुरुक्षेत्र सीट मिली है। वहीं दिल्ली की सात सीटों में से आप ने तीन कांग्रेस को दी हैं और चार पर आप चुनाव लड़ रही है।
भाजपा के संजय टंडन से मुकाबला
भाजपा लगातार दो बार की सांसद किरण खेर का टिकट काट चुकी है। भाजपा ने इस बार पूर्व प्रदेशाध्यक्ष संजय टंडन को टिकट दिया है। संघ पृष्ठभूमि के टंडन पुराने भाजपाई हैं। उनके पिता बलराम दास टंडन पंजाब में भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा रहे हैं। वे कई बार पंजाब सरकार में मंत्री रहे। माना जा रहा है कि संघ की सिफारिश और पार्टी की रिपोर्ट के चलते किरण खेर की टिकट काटकर स्थानीय संजय टंडन को टिकट दिया गया।
सेलिब्रिटी से हारे थे बंसल
2014 और 2019 में पवन बंसल भाजपा प्रत्याशी व सेलिब्रिटी किरण खेर से चुनाव हारे। टीवी व फिल्म अभिनेत्री किरण खेर ने 2019 में 2 लाख 31 हजार 188 वोट हासिल करके बंसल को शिकस्त दी। बंसल को इस चुनाव में 1 लाख 84 हजार 218 वोट मिले थे। इससे पहले 2014 के चुनाव में किरण खेर 1 लाख 91 हजार 362 वोट लेकर पहली बार संसद पहुंचीं। वहीं उनके मुकाबले चुनाव लड़ रहे बंसल को 1 लाख 21 हजार 720 वोट से सब्र करना पड़ा था। बंसल को हराने में सबसे बड़ी भूमिका आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी गुल पनाग रहीं। गुल पनाग ने 2014 के चुनाव में 1 लाख 8 हजार 679 वोट जुटाए थे।