अफगानिस्तान अमेरिका ने 20 साल चली जंग की खत्म
वाशिंगटन, 31 अगस्त (एजेंसी)
करीब 20 साल चले युद्ध के बाद अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से पूरी तरह वापसी हो गयी है। अफगानिस्तान छोड़ने की 31 अगस्त की समयसीमा पूरी होने से पहले सोमवार आधी रात अमेरिकी सेना के अंतिम विमान ने काबुल के हामिद करजई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरी। इसी के साथ अमेरिका का सबसे लंबा युद्ध समाप्त होने की घोषणा की गयी। वहीं, सुबह होने से पहले ही तालिबान ने हवाई अड्डे को अपने नियंत्रण में ले लिया और हवा में गोलियां चलाकर जश्न मनाया। तालिबान ने ट्वीट किया, ‘हमारे सभी देशवासियों, प्यारे देश और मुजाहिदीन को बधाई। आज सभी विदेशी बल हमारी पवित्र सरजमीं से चले गये।’ तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने हवाई अड्डे पर प्रेस वार्ता में कहा, हमें गर्व है कि हमने अपने देश को महाशक्ति से आजाद कराया है।
अफगानिस्तान से अपने सभी सैनिकों को वापस बुलाने के कुछ घंटे बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि युद्धग्रस्त देश में अमेरिका की 20 साल पुरानी सैन्य मौजूदगी अब समाप्त हो गयी है। उन्होंने समयसीमा के भीतर सैनिकों की सुरक्षित वापसी के लिए सशस्त्र बलों का धन्यवाद किया।
अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी 9/11 के हमले के 20 वर्ष पूरे होने से कुछ वक्त पहले हुई है। इस हमले में आतंकवादी संगठन अलकायदा के आतंकवादियों ने न्यूयॉर्क में ट्विन टावर को उड़ा दिया था। इस हमले के बाद अमेरिकी सैनिक तालिबान के शासन को उखाड़ फेंकने के लिए अफगानिस्तान में उतरे, जिसने अलकायदा के सरगनाओं को सुरक्षित पनाहगाहें मुहैया कराई थीं। एक रिपोर्ट के अनुसार इसके बाद चले युद्ध में करीब 2500 अमेरिकी सैनिकों, लगभग 2.40 लाख अफगानों की जान गयी और 20 खरब डॉलर का खर्च आया।
85 अरब डॉलर के उपकरण छोड़े : ट्रंप
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान से सैन्य वापसी के तरीके को लेकर अमेरिकी सरकार पर निशाना साधा। ट्रंप ने कहा, ‘इतिहास में कभी भी सेना की वापसी का अभियान इतनी बुरी तरह नहीं चलाया गया, जिस तरह बाइडेन प्रशासन ने अफगानिस्तान में चलाया। सभी उपकरणों को तुरंत अमेरिका को वापस करने की मांग की जानी चाहिए, क्योंकि उसके करीब 85 अरब डॉलर लगे हैं। अगर उन्हें वापस नहीं किया गया तो हमें जाहिर तौर पर सेना भेज उन्हें वापस लाना चाहिए या कम से कम उन पर बम गिराने चाहिए।’ अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व शीर्ष राजनयिक निक्की हेली सहित कई नेताओं ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर बाइडेन प्रशासन की आलोचना की है।
रह गये कई अमेरिकी
अफगानिस्तान में अब भी अमेरिका के कम से कम 200 नागरिक रह गये हैं। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका अपने नागरिकों और अफगानों को वहां से निकालने का प्रयास करता रहेगा और काबुल हवाई अड्डा फिर से खुलने के बाद अफगानिस्तान के पड़ोसी मुल्कों के साथ सड़क रास्ते से या चार्टर्ड विमानों के जरिए उनकी सुरक्षित वापसी का प्रयास करेगा। उन्होंने कहा, ‘हमें इस बात का कोई भ्रम नहीं है कि ये आसान होगा या जल्दी होगा।’ ब्लिंकन ने कहा कि अफगानिस्तान में मौजूद और वहां से निकलने की इच्छा रखने वाले अमेरिकियों की संख्या 100 के करीब होगी।
कतर में भारतीय राजदूत से मिले तालिबान नेता
नयी दिल्ली (एजेंसी) : कतर में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने मंगलवार को तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई से मुलाकात की। उन्होंने भारत की इस चिंता को उठाया कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए। विदेश मंत्रालय ने कहा कि अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और वापसी पर चर्चा हुई। भारत आने की इच्छा रखने वाले अफगान नागरिकों, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की यात्रा पर भी चर्चा हुई। यह बैठक दोहा स्थित भारतीय दूतावास में तालिबान के अनुरोध पर हुई। तालिबान के प्रतिनिधि ने इस संबंध में सकारात्मक आश्वासन दिया।
‘किसी देश के खिलाफ न हो अफगानी क्षेत्र का इस्तेमाल’
संयुक्त राष्ट्र (एजेंसी) : भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव पारित कर अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल किसी देश को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को शरण देने के लिए नहीं किए जाने की मांग की। प्रस्ताव में उम्मीद जताई गयी कि तालिबान अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करेगा।