वैज्ञानिक तथ्यों के साथ आयुर्वेद को बढ़ाने की वकालत
नयी दिल्ली। विशेषज्ञों का कहना है कि वैज्ञानिक तथ्यों के साथ आयुर्वेद को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इस संबंध में दिल्ली में नौवें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर आयुमंथन 3.0 आयोजित हुआ। इस दौरान देश के कोने कोने से आए आयुर्वेद विशेषज्ञों ने पारंपरिक चिकित्सा और उसके प्रभावों के बारे में जानकारी साझा की। नयी दिल्ली स्थित श्री सत्य साईं ऑडिटोरियम में एमिल हेल्थ केयर की ओर से आयोजित आयु मंथन 3.0 कार्यक्रम में डॉ. नितिका कोहली ने कहा कि हम वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ आयुर्वेद को आगे बढ़ा रहे हैं। इस पद्धति से कई लाइलाज बीमारियों का उपचार कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आयुर्वेद महज एक चिकित्सा नहीं बल्कि जीवन को स्वस्थ रहने की एक समग्र शैली है। इस बीच एमिल फार्मास्यूटिकल्स के चैयरमैन के. के. शर्मा ने भी आयुर्वेद को लेकर नए नए स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में नए स्टार्टअप के जरिए इसका विस्तार हो रहा है। डॉ. संचित शर्मा ने बताया कि एमिल और राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर ने आयुष मंत्रालय के साथ मिलकर कैंसर दवा पर शोध शुरू किया है। इस बीच मुंबई से आए आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. राज सातपुते ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा खासतौर पर आयुर्वेद को ज्यादा असरदार बनाने के लिए भरोसा जरूरी है। डॉक्टर और मरीज दोनों को ही अगर पूरे विश्वास के साथ पद्धति को अपनाते हैं तो रिकवरी के परिणाम परिवर्तनकारी होते हैं। एक और वक्ता डॉ. वैशाली शुक्ला ने कहा कि आयुर्वेद पद्धति से चिकित्सा के अच्छे परिणाम आए हैं।