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स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर टाल सकते हैं जानलेवा रोग

07:14 AM Jul 31, 2024 IST
स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर टाल सकते हैं जानलेवा रोग
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डॉ. मोनिका शर्मा
कैंसर के रोग का इलाज इस बीमारी की गंभीरता, अंग-विशिष्ट की व्याधि और स्टेज के अनुसार होता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इसके जाल में फंसने के बाद लंबी चलने वाली इलाज की प्रक्रिया में विशेषज्ञों का मार्गदर्शन जरूरी है पर समय रहते बचाव के लिए भी कदम उठाये जा सकते हैं। कम से कम जीवनशैली से जुड़ी उन बातों पर तो ध्यान दिया ही जा सकता है, जो इस रोग को न्योता देने वाली साबित हो रही हैं। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के एक अध्ययन में सामने आया है कि कैंसर के 40 फीसदी मामले और कैंसर से होने वाली लगभग 50 प्रतिशत मौतें लोगों के गलत लाइफस्टाइल के कारण होती हैं। शोध के अनुसार, सिगरेट पीना, निष्क्रियता, मोटापा, और शराब का सेवन कैंसर के 4 सबसे बड़े कारण हैं। लत या आदत बनी इन जीवनशैली से जुड़ी चीजों से सक्रियता और निश्चय के जरिये पीछा छुड़ाया जा सकता है।

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चिंताजनक हैं आंकड़े

परंपरागत रूप से सक्रिय और सधी जीवनशैली वाले हमारे देश में कैंसर जैसी घातक बीमारी के आंकड़े डराने वाले हैं। इस अध्ययन से जोड़कर देखा जाए तो भारत में स्वस्थ लाइफस्टाइल के मोर्चे पर भी हम पीछे छूट रहे हैं। खानपान से जुड़ी बुरी आदतों और आलसीपन के घेरे में तो हर उम्र के लोग हैं। ऐसे में भोजन, व्यायाम और किसी तरह की लत जैसी बातों को लेकर गंभीरता से सोचना जरूरी है। एक रिपोर्ट में भारत को दुनिया की कैंसर कैपिटल भी कहा गया। महिलाओं, पुरुषों और बच्चों को भी यह जानलेवा बीमारी जद में ले रही है। कुछ साल पहले आई इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में अगले पांच साल में कैंसर के मामले 12 प्रतिशत बढ़ जाएंगे। रिपोर्ट में 2025 तक ये आंकड़े 15.7 लाख तक पहुंचने की बात थी। वर्ष 2017 में जर्नल ऑफ ग्लोबल ऑन्कोलॉजी में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, विकसित देशों के मुकाबले भारत में कैंसर मरीजों की मौत की दर दोगुनी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन में रिपोर्ट किए जा रहे नए सालाना कैंसर के मामलों की 2020 की रैंकिंग में चीन और अमेरिका के बाद भारत को तीसरे स्थान पर रखा था। साल-दर-साल मरीजों का आंकड़ा बढ़ ही रहा है। ऐसे में परिवार के सभी सदस्य अपनी जीवनचर्या को लेकर जरूर सोचें।

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इलाज से बेहतर बचाव

चिकित्सा से बेहतर चेत जाना है, हमारे बड़े-बुजुर्ग भी सदा से यह सीख देते आए हैं। फिर यह तो कैंसर जैसी जानलेवा व्याधि का मामला है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के एक अध्ययन में भी सामने आया है कि धूम्रपान छोड़ने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। जीवन में यदि पुरुष कभी धूम्रपान न करें तो कैंसर का खतरा 56 प्रतिशत कम हो जाता है। वहीं, महिलाओं में स्मोकिंग न करने से कैंसर का जोखिम 39.9 प्रतिशत कम हो जाता है। दुनिया भर में कैंसर के 19.3 फीसदी नए मामलों का कारण स्मोकिंग है। निष्क्रिय रहने की आदत ने भी इस बीमारी के आंकड़े बढ़ाए हैं। स्थूल शरीर कैंसर के लिए दूसरा बड़ा कारण है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पर्याप्त शारीरिक गतिविधियां न करने से कैंसर का जोखिम 7 फीसदी तक बढ़ जाता है। हालिया स्टडी के अनुसार, इस बीमारी के 7.6 फीसदी नए मामलों के पीछे बढ़ा हुआ वजन ही है। वहीं मोटापे की बड़ी वजह यानि पर्याप्त शारीरिक सक्रियता की कमी इस व्याधि की कैंसर की तीसरी सबसे बड़ी वजह है। साथ ही अत्यधिक शराब पीना 4 फीसदी नए मामलों के लिए जिम्मेदार है। सोचने वाली बात है कि जीवनशैली को सुधारकर इन सभी आदतों से छुटकारा पाया जा सकता है। हानिकर आदतों से बचना , वजन काबू में रखना व संतुलित खानपान अपनाना बहुत मुश्किल काम नहीं।

जड़ों से जुड़ना सहेजेगा जीवन

आज दुनियाभर में सुबह में जल्दी उठने, अपने काम खुद करने, योग करने, सुबह सैर पर जाने, घर का बना खाना खाने,बुरी आदतों से दूर रहने और आध्यात्मिक जीवन से जुड़ने वाली परंपरागत भारतीय जीवनशैली को अपनाया जा रहा है। तकलीफदेह है कि बात चाहे समय से सोने-जागने की हो या जंक फूड, शराब और धूम्रपान जैसी आदतों से दूरी की, समाज का बड़ा वर्ग इस जाल में फंस गया है। कहीं आर्थिक संपन्नता का दिखावा तो कहीं सजगता की कमी। पारंपरिक जीवन की ओर लौटना भी व्याधियों से जाल से बचा सकता है। घर के सभी सदस्य फिजिकली एक्टिव रहने का रुटीन बनाएं। स्वस्थ खानपान अपनाएं। हिदायत भर देने के बजाय बुरी लत से बाहर आने में अपनों की मदद करें। क़ैसर जैसी बीमारी के इलाज की लम्बी चलने वाली प्रक्रिया में घर के सभी सदस्य मिलकर जूझ सकते हैं तो बचाव के मोर्चे पर एक साथ क्यों नहीं डट सकते? जीवनशैली से सम्बन्धित बहुत से छोटे-छोटे बदलाव किसी व्याधि के बड़े जोखिम से बचा सकते हैं। बस, समय रहते चेतने की दरकार है।

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