प्रशासक के 5 वर्ष हुए पूरे
चंडीगढ़/पंचकूला, 22 अगस्त (नस)
प्रशासक वीपी सिंह बदनौर का 5 वर्षों का कार्यकाल 22 अगस्त को समाप्त हो चुका है। अगले प्रशासक को लेकर क्षेत्रीय और केंद्रीय स्तर पर हलचल पिछले कई दिनों से तेज हो गई थी लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं आया है।
सूत्रों का दावा है कि प्रशासन को बदनोर की नियुक्ति को लेकर केन्द्र द्वारा अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। यह भी संभव है कि सोमवार को प्रशासक के कार्यकाल की समाप्ति के बाद भारत सरकार प्रशासक के पद बारे कोई बड़ा फैसला ले सकती है। सूत्रों की माने तो कुछ राजनीतिक दल अलग प्रशासक की नियुक्त के पक्ष में पहले से ही सरकार को सिफारिश कर चुके हैं। राजनीतिक दलों ने पंजाब के राज्यपाल के पद को चंडीगढ़ के प्रशासक के पद से अलग करने की मांग उठाई थी। हालांकि शिरोमणी अकाली दल ने इसका विरोध किया था। कांग्रेस ने चंडीगढ़ के प्रशासक की जिम्मेदारी प्रमुख सचिव को देने की बात कही थी। लेकिन भाजपा सरकार द्वारा प्रशासक की नियुक्ति के फैसले को बरकरार रखा था।
अब जबकि प्रशासक के 5 वर्ष पूरे हो चुके हैं, केन्द्र सरकार चंडीगढ़ को इस पद से अलग करने के संबंध में क्या फैसला लेता है, यह अपने आप में दिलचस्प होगा। गृह मामलों के मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चंडीगढ़ के पद को पंजाब के राज्यपाल से अलग करने की फिलहाल कोई योजना नहीं है।
वार रूम की बैठकों में लिए मजबूत फैसले
सूत्रों की माने तो पंजाब के राज्यपाल एवं प्रशासक वीपी सिंह बदनोर ने दो वर्ष पूर्व कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान प्रशासन के स्तर पर वार रूम की बैठकों का संचालन शुरू किया था। बैठकों मंे बदनोर ने तत्परता और दृढ़ता से फैसले लिए। संक्रमण को समाप्त करने के लिए चंडीगढ़ के हर छोटे-बड़े अफसर की जवाबदेही इस बात का संकेत है कि बदनोर ने इस वार रूम की बैठक में हर अधिकारी को शामिल किया। प्रशासक के उन फैसलों के सफलतापूवर्क लागू होने के चलते प्रशासन दूसरी लहर से निपटने में कामयाब हुआ।