बढ़ते बच्चों को मिले भरपूर पोषण
नीलम अरोड़ा
बढ़ते हुए बच्चों के विकास में पौष्टिक भोजन की बहुत बड़ी भूमिका होती है। लेकिन हर माता-पिता की बड़ी समस्या ये होती है कि खासकर वे बच्चे जो अभी टीन एज में पहुंचे हैं या उसके पहले के हैं, खाने के मामले में बहुत चूज़ी होते हैं। वे वैरायटी खाने से अकसर इनकार कर देते हैं। कई बार पैरेंट्स इस समस्या का हल निकालते हैं उन्हें जो चीज पसंद होती है वह बार-बार वही खिलाकर। लेकिन यह समस्या का हल नहीं है, न ही इससे कुछ फायदा होने वाला है। उल्टे बच्चे एक ही तरह का फूड खाकर कई जरूरी पोषक तत्वों से वंचित हो जाते हैं। इससे उनका विकास प्रभावित होता है। ऐसे में जरूरी है कुछ ऐसी जुगत भिड़ाना कि उन्हें अपने खानपान से जरूरी पोषक तत्व हासिल हो सकें।
पूरक आहार दें लेकिन...
कई बार इस संबंध में अभिभावक शॉर्टकट अपनाते हुए बाजार में मिलने वाले सप्लीमेंट फूड्स खिलाते हैं जिसमें बुराई नहीं है, लेकिन यह आदत बुरी तब हो जाती है, जब हम ज्यादा से ज्यादा सप्लीमेंट फूड्स पर ही निर्भर हो जाएं। पेडियाट्रिक्स डॉ. स्वाति के मुताबिक इन पूरक आहारों की भूमिका बढ़ते हुए बच्चों के कद बढ़ने में, वजन सही रखने में और मानसिक विकास के लिए जरूरी है। लेकिन सिर्फ इन्हीं पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। हां, इनके जरिये कई तरह की तरकीबें विकसित करके बच्चों को संतुलित और पौष्टिक भोजन खिलाने की कोशिश करनी चाहिए। मसलन बच्चे को मैगी खाना पसंद है तो उस मैगी में आप कई तरह की सब्जियां, मटर आदि मिलाकर उसे पौष्टिक बना सकती हैं।
पर्याप्त मात्रा में खुराक
दरअसल बच्चों को न सिर्फ न्यूट्रिएंट्स देना जरूरी है बल्कि यह भी समझना और तय करना जरूरी है कि उन्हें हर जरूरी न्यूट्रिएंट्स, जरूरी मात्रा के अनुकूल मिलें। अगर हम बच्चों को पोषक तत्वों का ओवरडोज देते हैं, तो यह भी उनके विकास के लिए सही नहीं है बल्कि बाधक हो सकता है। बच्चे चूंकि अपनी पसंद आने वाली चीजें ही खाते हैं, इस कारण उनमें पोषक की कमी हो जाती है, जैसे पोटेशियम, मैग्नीशियम, विटामिन ई व डी आमतौर पर इनकी मात्रा उनके पैकेज्ड फूड्स में बहुत कम होती है, इसलिए उन्हें जरूरत के मुताबिक हेल्थ सप्लीमेंट देने चाहिए। लेकिन इसके साथ ही किसी अच्छी डायटीशियन को समस्या बताकर ऐसे नुस्खे भी जानने चाहिए जिनसे बच्चे जरूरतभर के सभी पौष्टिक आहार अपने रोजमर्रा के फूड प्रबंधन में शामिल कर लें। बच्चों को नये प्रयोग पसंद आते हैं। अगर आपका बच्चा पनीर की सब्जी नहीं खाता, तो उसे पनीर टिक्का बनाकर दें, पनीर टिक्का नहीं पसंद तो पनीर भुजिया, पनीर के परांठे यानी उसे वो चीज दें, जो उसे पसंद है।
घर के बड़ों से सलाह
किसी जोखिम से बचने के लिए कम से कम दो या तीन ऐसी मांओं से भी सलाह ले लें और अपने घर के बड़ों या बड़ी बहन से भी कि बच्चों की भूख, खाने की उनकी चाहत और पौष्टिक खाने की उनकी आपूर्ति को कैसे अनुकूल बनाया जाए। अगर कोई बच्चा लगातार खाना न खाकर और किसी बीमारी या दूसरी वजहों से परेशान नजर आ रहा है, तो आपको चाहिए कि अगले दिन यानी जिस दिन बच्चे का स्कूल फंक्शन हो उसके साथ स्कूल जाएं और रास्तेभर में होने वाली बातचीत में उसे आगाह करते रहें कि अपने शरीर की जरूरत और विकास की ख्वाहिश के अनुरूप खाने में पौष्टिक सप्लीमेंट होने जरूरी हैं वरना खाना न खाने के बराबर होता है।
ओवरडोज को लेकर रहें सजग
बच्चों को भी समझाएं और खुद भी समझें कि लगातार कोई पौष्टिक तत्व अगर सामान्य से ज्यादा लेते हैं तो इस ओवरडोज से कई तरह की बीमारियां पैदा होती हैं। शरीर एसिडिटिक हो जाता है, उसमें विषैले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे न सिर्फ किसी भी आयुवर्ग के बच्चे का विकास रुक जाता है बल्कि उन्हें कई तरह की बीमारियां और परेशानियां भी घेर लेती हैं। इसलिए अपने बढ़ते बच्चों की न्यूट्रिएंट्स जरूरत को ध्यान में रखते हुए उनके बाजार के सप्लीमेंट और घरेलू पौष्टिक चीजों से मिश्रित डाइट चार्ट बनाएं और होशियारी से उस पर अमल करें, ताकि बच्चे की जीभ का स्वाद भी बरकरार रहे और पौष्टिकता संबंधी जरूरतें भी पूरी हो जाएं।
-इ.रि.सें.