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परिवार पहचान पत्र से चला पता, प्रदेश में 20 लाख पिछड़े परिवार

01:36 PM Jun 11, 2023 IST

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू

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चंडीगढ़, 10 जून

हरियाणा सरकार द्वारा परिवारों को पहचान देने के लिए शुरू किया गया पीपीपी यानी परिवार पहचान-पत्र प्रोजेक्ट काफी हद तक कामयाब होता नजर आ रहा है। विपक्षी दल भले ही इसके खिलाफ हैं, लेकिन सीएम मनोहर लाल खट्टर का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसके जरिये सरकार के पास न केवल अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग-ए और बी के परिवारों और आबादी का डाटा उपलब्ध हो गया है बल्कि सामान्य परिवारों की भी संख्या सरकार के पास है। गरीब एवं जरूरतमंद परिवारों का भी पीपीपी के जरिये आसानी से पता लग गया है। इसके बाद ही सरकार ने मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना तैयार की। इसके योजना के तहत अति गरीब परिवारों और उन परिवारों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश हो रही है, जिनकी सालाना आय 1 लाख 80 हजार रुपये से कम है। इनमें कई ऐसे परिवार भी हैं, जिनकी सालाना आय 50 हजार रुपये और एक लाख रुपये तक भी है। पहले चरण में ऐसे ही लोगों पर फोकस है ताकि उनकी सालाना आय कम से कम 1 लाख 80 हजार रुपये सुनिश्चित की जा सके।

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सीएम के प्रधान सचिव वी़ उमाशंकर इस पूरे प्रोजेक्ट की निगरानी कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में ही इसे तैयार किया गया है। परिवार पहचान-पत्र पर 72 लाख के करीब परिवार पंजीकरण करवा चुके हैं। इनमें से 68 लाख के करीब परिवारों का डाटा सरकार द्वारा वेरिफाई करवाया जा चुका है। कुल 2 करोड़ 83 लाख के करीब लोगों का डाटा अब सरकार के पास उपलब्ध है। इस डाटा के अनुसार, राज्य में अनुसूचित जाति के परिवारों की संख्या 13 लाख 68 हजार 365 है। यानी अजा की कुल आबादी 58 लाख 61 हजार से अधिक है। इसी तरह से पिछड़ा वर्ग-ए के 11 लाख 23 हजार 352 परिवार हैं और इनकी जनसंख्या 47 लाख 93 हजार 312 बनती है। इसी तरह बीसी-बी के परिवारों की संख्या 8 लाख 69 हजार 79 मिली है। इनकी कुल आबादी 37 लाख 97 हजार 306 है। पिछड़ा वर्ग के ही 20 लाख के करीब परिवार प्रदेश में हैं। इस लिहाज से अगर देखें तो प्रदेश में अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग (बीसी-ए और बी) के कुल परिवार 33 लाख 60 हजार 796 हैं और इनकी आबादी 1 करोड़ 40 लाख के करीब है। बाकी 38 लाख 39 हजार 204 सामान्य जातियाें से जुड़े परिवार हैं। अब सरकार ने इस डाटा के हिसाब से इन परिवारों के लिए केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का वर्गीकरण किया हुआ है। लाभपात्र परिवारों और लोगों तक केंद्र व राज्य की योजनाएं पहुंचे, यह सुनिश्चित करने में पीपीपी अहम भूमिका निभा रहा है। बेशक, पीपीपी लागू होने के बाद कई लोगों की समस्याएं भी बढ़ी हैं और सरकार तक शिकायतें भी पहुंची हैं। सरकार भी यह बात मानती है कि कुछ गड़बड़ हुई होगी, लेकिन उसे ठीक किया जा रहा है।

4लाख वाहन पंजीकृत

पीपीपी डाटा से खुलासा हुआ है कि प्रदेश में कुल 40 लाख वाहन पंजीकृत हैं। इनमें कुछ पुराने वाहन भी हैं। यह डाटा सरकार ने पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड से जुटाया। इनमें से करीब 30 लाख वाहनों का वेरिफिकेशन भी किया जा चुका है।

कॉन्ट्रेक्ट की नौकरियों में फर्जीवाड़ा उजागर, सरकार करा रही जांच

परिवार पहचान-पत्र के जरिये कांट्रेक्ट कर्मियों का भी डाटा सरकार तक पहुंचा है। विभागों के स्तर पर पहले भी यह डाटा उपलब्ध था, लेकिन कुछ मामलों में धांधली अब सामने आई है। फरीदाबाद नगर निगम में एक कर्मचारी ऐसा मिला, जिसके परिवार में 8 सदस्यों को कांट्रेक्ट नौकरी मिली हुई थी। इस मामले की अब सरकार जांच करवा रही है। इसी तरह से एक पुलिस मुलाजिम के परिवार में चार सदस्य कांट्रेक्ट पर मिले।

इंडस्ट्री में लेबर 23 लाख

पंजीकरण के बाद यह भी पता लगा है कि प्रदेश में 23 लाख के करीब ऐसे श्रमिक हैं, जो इंडस्ट्री से जुड़े हैं। इनमें से 17 लाख के करीब को परिवार पहचान-पत्र के साथ जोड़ा जा चुका है। बाकी की वेरिफिकेशन हो रही है। इसी तरह से यह भी पता लगाया है कि प्रदेश में 4 से 5 लाख प्रॉपर्टी ऐसी हैं, जो विवादित हैं। इसका समाधान करने के लिए भी अब सरकार प्रणाली तैयार कर रही है।

लोकल कमेटी कर रही परिवारों की आय जानने के लिए सर्वे

परिवार पहचान-पत्र पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाने वाले परिवारों की इन्कम वेरिफिकेशन के लिए लोकल स्तर पर सरकार ने कमेटियों का गठन किया है। ये कमेटियां घर-घर जाकर वेरिफिकेशन कर रही हैं। इन कमेटियों में एक सरकारी कर्मचारी, एक लोकल कंप्यूटर ऑपरेटर, एक विद्यार्थी, एक समाजसेवी और एक वाॅलिएंटर को शामिल किया गया है।

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