एक्यूपंक्चर-प्रेशर की सहज विधि से सुरक्षित उपचार
अरुण नैथानी
एक्यूप्रेशर में शरीर के कुछ खास बिंदुओं पर दबाव देकर उपचार करते हैं। इन बिंदुओं को एक्यूप्वाइंट कहते हैं। इन बिंदुओं पर जब सुई डालकर उपचार किया जाता है तो इसे एक्यूपंक्चर कहते हैं। एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति प्राचीन भारत में पैदा हुई। चीन में पली-बढ़ी और आधुनिक काल में पश्चिम जगत में लोकप्रिय हुई। भारतवर्ष में जहां महिलाएं बिंदी लगाती हैं, जहां मांग भरती हैं, जहां नाक-कान छेदे जाते हैं, जहां बिछिया, अणत, चूड़ियां पहनी जाती हैं, ये सभी एक्यूपंक्चर के उपचार के महत्वपूर्ण बिंदु हैं। एक्यूप्रेशर की ताकत व प्रभावकारिता का अनुमान लगाने के लिए यह मिसाल काफी है कि महावत का छोटा-सा लड़का हाथी का नियंत्रण अंकुश द्वारा हाथी के एक्यूप्वाइंट दबाकर करता है। चीन में पिछले पांच हजार वर्ष से एक्यूपंक्चर का उपयोग सफलता पूर्वक किया जा रहा है।
आयुर्वेद में मर्मबिंदु और मर्मभेदन
भारत में आयुर्वेदिक एक्यूपंक्चर पर चरक, सुश्रुत, आत्रेय आदि विद्वानों ने महत्वपूर्ण जानकारी दी है। वेदों में भी एक्यूपंक्चर यानी मर्मभेदन का विशद वर्णन मिलता है। आयुर्वेद में एक्यूप्वाइंट को मर्मबिंदु कहते हैं। ऊर्जा प्रवाह पथ मेरिडयन को आर्युवेद में नाड़ी कहते हैं।
भारत में ऋषि-मुनियों द्वारा शरीर के विभिन्न बिंदुओं को दबाव देकर या मालिश द्वारा उपचार किया जाता रहा है। कालांतर बौद्ध धर्म के अनुयायी इस पद्धति को चीन, जापान व श्रीलंका ले गये। इसका सम्यक व संपूर्ण विकास चीन में हुआ। आज इसे अमेरिका में रिफलेक्सोलॉजी और जापान में शिपात्सु और जर्मनी में इलेक्ट्रो एक्यूपंक्चर के नाम से जाना जाता है।
विशेषज्ञ चिकित्सकों की राय
वास्तव में एक्यूपंक्चर दो शब्दों एक्यू यानी सूचिका एवं पंक्चर यानी भेदन। यानी शरीर के विभिन्न बिंदुओं का सूचिका भेदन से स्वास्थ्य प्राप्त करना। जानिये आचार्यों एवं विशेषज्ञों के मत -
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य : सेहत के लिए जीवनशक्ति विशेष अदृश्य रेखाओं से आती है, जिसका संबंध संपूर्ण शरीर से है। उन बिंदुओं पर सुई के स्पर्श या दबाव से दर्द या रोग तुरंत समाप्त हो जाता है। जटिल शल्य चिकित्सा से उत्पन्न दर्द में भी इन दबावों से आराम मिलता है।
डॉ. जेपी अग्रवाल : एक्यूपंक्चर वह विधि है, जिसमें शरीर के किसी बिंदु पर उपचार द्वारा ऊर्जा का विनिमय किया जा सके।
डॉ. पार्क जे.वु. : प्रकृति ने हमारे हाथों एवं पैरों की संरचना इस ढंग से की है कि उसमें शरीर के सभी अंगों एवं अवयवों में सादृश्यता है। इन सादृश्य केंद्रों पर दबाव बनाकर या अन्य माध्यमों से शरीर की ऊर्जा शक्ति को उद्वेलित करके शारीरिक असहजता का निवारण किया जा सकता है।
कई तरह से लाभदायक एक्यूपंक्चर
- उपचार के लिए आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के मुकाबले एक्यूपंक्चर प्रणाली जहां प्राकृतिक, कष्टरहित एवं कम खर्चीली है वहीं एक समग्र एवं दुष्प्रभाव रहित आरोग्य प्रदाता भी है।
- इस प्रणाली के दुष्परिणाम नहीं
- औषधि रहित चिकित्सा
- रोगी की रक्षा व रोग की समाप्ति
- कष्टरहित चिकित्सा
- कम खर्चीली
- अन्य चिकित्सा पद्धतियों के साथ भी
- सहज, सरल व प्राकृतिक
- तुरंत लाभ
- हर रोग में लाभदायक
- सर्वसुलभ एवं प्रति प्रभाव से मुक्त
- समय, श्रम व धन की बचत
- शारीरिक व मानसिक प्रतिरोध क्षमता
- संपूर्ण तंत्र पर प्रभाव
- मांसपेशियों के तंतुओं में स्फूर्ति
- त्वचा में चमक पैदा
- दवाई से कम खर्चीली
- सुरक्षित चिकत्सा प्रणाली
- शोधित कर बार-बार उपयोग
- दुष्परिणाम उत्पन्न नहीं
- यात्रा में तुरंत उपयोगी व सर्वसुलभ
- डाक्टर के बाद घर पर उपचार
- मोटापा कम करने में सहायक
- सौंदर्यवृद्धि में सहायक
- अन्य उपचारों की विफलता में भी सफलता
साइड इफेक्ट से बचाव
- बेहोशी-चक्कर आने पर नाक के नीचे एवं तलवे के गहरे भाग पर दबाव
- पतले लूज मोशन सफाई के संकेत
- मानसिक स्तर पर तीव्र परिवर्तन स्वाभाविक
- मूत्र त्याग में वृद्धि
- नींद का आना स्वास्थ्य का द्योतक
- आपरेशन के बाद 3-6 माह तक उपचार नहीं
- गर्भवती महिलाओं को तीन माह बाद खास बिंदुओं की चिकित्सा नहीं
- मासिक धर्म के दौरान उपचार नहीं
- एक्यू बिंदुओं पर निडिल से उपचार 30 मिनट से एक घंटे तक
- एक्यू बिंदुओं पर खाली पेट दिन में दो बार उपाचित करना चाहिए
- भोजन से एक घंटे पूर्व
- भोजन के तीन घंटे बाद
- सात साल और 70 से अधिक व्याधि पर सावधानी से उपयोग।