मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

सटीक-गंभीर विश्लेषण

11:12 AM May 14, 2021 IST
featuredImage featuredImage

दैनिक ट्रिब्यून में बारह मई के अंक में संपादक राजकुमार सिंह ने ‘राजनीतिक वायरस की वैक्सीन भी जरूरी’ लेख में सटीक और गंभीर विश्लेषण किया है। देश के प्रधानमंत्री पिछले एक साल से कोरोना के खिलाफ मुहिम चला रहे थे। कोरोना वॉरियर्स के लिए थाली बजवा रहे थे, ताली बजवा रहे थे, दीपक जला रहे थे। एक ही दिन में अहमदाबाद, हैदराबाद और पूना जहां वैक्सीन बन रही थी, वैज्ञानिकों से वार्ता कर रहे थे। तब विपक्षी नेता उनका मजाक उड़ा रहे थे। सबसे पहले वैक्सीन भारत ने बनाई, इसका श्रेय देना तो दूर रहा, देश में भ्रम फैलाने का काम कर रहे थे। सारी दुनिया ने भारत की वैक्सीन को विश्वसनीय कहा। अब कह रहे हैं कि विदेशों को क्यों दी। आज सेना की तीनों शाखाएं अस्पताल बना रही हैं, ऑक्सीजन ला रही हैं, अम्बानी ऑक्सीजन आपूर्ति में बड़ा योगदान कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी दिन-रात अपने काम में जुटे हुए हैं। निश्चय ही सकारात्मक लेखन प्रेरित करता है।

Advertisement

राम बिलास शर्मा, पूर्व शिक्षामंत्री, हरियाणा


मुफ्त मिले टीका

Advertisement

देश वैश्विक महामारी के संकट से गुजर रहा है। इस समय प्रत्येक सत्ताधारी और विपक्षी राजनेताओं को कोरोना के किसी भी मुद्दे पर ओछी राजनीति से बचते हुए देशहित और जनहित बारे सोचना चाहिए। केंद्र और राज्य सरकारों को चाहिए कि देश में निर्मित कोरोना वैक्सीन लोगों को मुफ्त में उपलब्ध कराएं ताकि इस महामारी से बचा जा सके। देश में गरीबी रेखा के नीचे लोगों का आंकड़ा बहुत ज्यादा है। इसलिए गरीब लोग पैसे देकर टीका लगाने से कतराएंगे।

राजेश कुमार चौहान, जालंधर


चिंता की बात

पिछले कुछ दिनों से गंगा नदी में मृतकों के शव मिलने की खबरें आ रही हैं। मंगलवार रात्रि उ.प्र. के बलिया ज़िले में गंगा के तटवर्ती इलाकों से कुछ और शव मिले हैं। शवों का मिलना अभी भी लगातार जारी है। इतनी बड़ी संख्या में शव मिलने से प्रशासनिक अधिकारियों पर प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक है।

विजय महाजन प्रेमी, वृन्दावन, मथुरा

Advertisement
Tags :
विश्लेषणसटीक-गंभीर