जरूरी है अभियान : तुम भी चलो... हम भी चलें, चलती रहे जिंदगी
हरेंद्र रापड़िया/हप्र
सोनीपत, 4 जून
विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) के अवसर पर ‘त्रिवेणी बाबा’ ने लोगों से अपील की है कि अपनी धरती को बचाने के लिए सभी लोग आगे आएं। उनकी अपील ऐसी है, मानो पर्यावरण के लिए कह रहे हों, ‘तुम भी चलो… हम भी चलें, चलती रहे जिंदगी।’ असल में करीब तीन दशक से तीन पेड़ों- बड़, पीपल और नीम को एक साथ लगाने का अभियान चलाते-चलाते सत्यवान नाम के यह व्यक्ति त्रिवेणी बाबा के नाम से मशहूर हो गए। इस बार उन्होंने लोगों से कहा कि जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ या ऐसे ही किसी अवसर पर त्रिवेणी लगाएं। साथ ही उनकी देखभाल भी करें। एक अध्ययन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों में पृथ्वी का तापमान 100 साल के बराबर बढ़ गया है। उन्होंने चेताया कि अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो 2050 तक पृथ्वी पर मानव जीवन दूभर हो जाएगा।
भिवानी के गांव सरल में श्मशान घाट में 1994 में शुरू यह त्रिवेणी अभियान आज महा अभियान बन चुका है। देश के कई राज्यों में 50 हजार त्रिवेणी के अलावा करीब 40 लाख पौधे लगवा चुके बाबा त्रिवेणी के लक्ष्य अभी भी काफी बड़े हैं। अगला लक्ष्य आजादी के बाद देश के लिए शहीद हुए करीब 22,900 जवानों के नाम पर अगले दो साल में त्रिवेणी लगवाना है। उन्होंने बताया कि शहीदों के परिजनों से संपर्क कर सम्मान के तौर पर उनके गांव या इलाके में उनके नाम पर त्रिवेणी लगवाएंगे। सोनीपत में ‘दैनिक ट्रिब्यून’ से खास बातचीत में त्रिवेणी बाबा ने बताया कि करीब 29 साल पहले चला उनका त्रिवेणी अभियान आज प्रदेश के हर जिले, ब्लॉक और फिर गांव स्तर तक पहुंच गया। अब तो त्रिवेणी बाबा हरियाणा के अलावा पंजाब, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा में जन चेतना अभियान चलाकर आज 50 हजार से अधिक त्रिवेणी और 40 लाख से अधिक अन्य तरह के पौधे लगवा चुके हैं। उनका अगला लक्ष्य एक लाख त्रिवेणी और एक करोड़ पौधे लगाने का है। उन्होंने कहा कि हरियाणा का शायद ही कोई ऐसा गांव बचा हो जहां पर वह त्रिवेणी न लगवाई हो। उन्होंने शुरू में पर्यावरण को लेकर लोगों में जनचेतना पैदा की और उसके बाद उन्हें लोगों का भरपूर सहयोग मिलता चला गया।
‘महाअभियान बनाने में दैनिक ट्रिब्यून की रही अहम भूमिका’
बातचीत के दौरान भावुक हुए त्रिवेणी बाबा ने कहा कि उनकी छोटी शुरुआत को महाअभियान बनाने में ‘दैनिक ट्रिब्यून’ का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि अगर दैनिक ट्रिब्यून का सहयोग नहीं मिलता तो शायद उनका अभियान इतना लंबा सफर तय ही न कर पाता।