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उचाना में अभय के मायाजाल ने इनेलो में फूंकी नयी जान

08:32 AM Sep 28, 2024 IST
उचाना में अभय के मायाजाल ने इनेलो में फूंकी नयी जान
अभय चौटाला
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जसमेर मलिक
जींद, 27 सितंबर
इनेलो-बसपा गठबंधन ने बांगर के गढ़ उचाना में पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के जन्मदिवस पर राज्य स्तरीय रैली कर पूर्व चौधरी देवीलाल और पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला की राजनीतिक कर्मभूमि जींद जिले को राजनीतिक रूप से फिर साधने का प्रयास किया है। जींद जिले में इनेलो ने चौटाला परिवार में टूट के बाद अपना जो जनाधार और राजनीतिक जमीन खो दिए थे, इस बार के चुनाव में उसे वापस पाने के लिए इनेलो बेहद गंभीर दिख रही है।

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ताऊ देवी लाल

साल 2018 में चौटाला परिवार में टूट के बाद जब पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला और उनके बेटे दुष्यंत चौटाला ने अपनी अलग जजपा बनाई।
पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल और पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के जींद में कार्यकर्ताओं से लेकर उनके वोट बैंक पर जजपा ने कब्जा कर लिया था। 2019 के जींद उपचुनाव में जजपा ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी, तो इनेलो प्रत्याशी उम्मीद रेढू 3000 वोट भी नहीं ले पाए थे। इसके बाद 2019 के आमचुनाव में भी जींद जिले में इनेलो का कोई भी प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाया था। अब जजपा का ग्राफ भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार साढ़े चार साल तक सरकार चलाने के बाद गिरा।
इसी को ध्यान में रखते हुए चौटाला परिवार जींद में अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन और जनाधार को वापस पाने की कोशिश में जुटा है। माना जा रहा है कि अभय चौटाला ने पूरी राजनीतिक सोच के साथ चुनावों के दौरान उचाना में देवीलाल जयंती मनाने का फैसला लिया। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा सुप्रीमो कुमारी मायावती ने इस रैली के जरिये कांग्रेस व भाजपा पर तीखे हमले भी किए।
इनेलो व बसपा नेताओं ने मिलकर किसान व दलित कार्ड खेला ताकि इन वर्गों को अपने साथ जोड़ा जा सके।
चौधरी देवीलाल का जींद जिले में मजबूत जनाधार कई दशक तक रहा। उन्हें जननायक बनाने में जींद की धरती की अहम भूमिका रही थी। 23 मार्च, 1986 को जींद की धरती पर देवीलाल ने समस्त हरियाणा सम्मेलन किया था, जो हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में आज भी सबसे बड़ी रैली के रूप में दर्ज है। जींद की धरती से चौधरी देवीलाल को जो राजनीतिक ताकत मिली थी, उसी के दम पर उन्होंने 1987 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर कांग्रेस को महज 5 सीटों पर समेट दिया था। लोकदल तथा उसके गठबंधन को 85 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इसके बाद चौधरी देवीलाल और उनके बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जींद के लोगों ने इन दोनों का बुरे दौर में भी खूब साथ दिया। 2009 में जींद की पांचों सीट इनेलो को मिली थी तो 2014 में भी इनेलो को 3 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

ओमप्रकाश चौटाला

किसान- दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश

इनेलो ने बसपा के साथ पहले गठबंधन किया और 25 सितंबर को ताऊ देवीलाल जयंती पर प्रदेश स्तरीय रैली के लिए जींद के उचाना कस्बे की धरती को चुना। रैली में आयोजकों की उम्मीद से ज्यादा भीड़ उमड़ी। उचाना की इस रैली का असर यह हुआ कि नरवाना विधानसभा क्षेत्र में इनेलो प्रत्याशी विद्या दनौदा को मजबूती मिली। बेशक, नरवाना की सीट त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी है लेकिन अभय चौटाला जींद की रैली के जरिये विद्या दनौदा को मजबूत करने की कोशिश करने के साथ-साथ अपने भतीजे दुष्यंत चौटाला के खिलाफ भी माहौल बना गए। उचाना से इनेलो प्रत्याशी विनोद सरपंच के चुनाव को भी रैली से मजबूती मिली। असर जींद में इनेलो के प्रत्याशी नरेंद्रनाथ शर्मा और जुलाना में इनेलो प्रत्याशी डॉ सुरेंद्र लाठर के पक्ष में भी गया। उचाना की अपनी सफल रैली के मंच से बसपा सुप्रीमो मायावती से लेकर पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला और इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने किसानों, कमेरा वर्ग और दलितों को साधने का पूरा प्रयास किया। मायावती ने भाजपा और कांग्रेस को दलित और आरक्षण विरोधी बताते हुए राहुल गांधी पर भी सीधा हमला बोला। उन्होंने जींद जिले में दलित समुदाय को इनेलो बसपा गठबंधन की तरफ वापस लाने में अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी। बारी जब इनेलो सुप्रीम ओमप्रकाश चौटाला की आई तो उन्होंने भी किसान और कमेरे की ही बात कर उन्हें साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने भी अपने भाषण में इनेलो का घोषणा पत्र जनता के सामने रखा। साथ ही, कहा कि जब किसान के पक्ष में वह लोग नहीं बोल रहे थे, जो खुद को चौधरी देवीलाल का राजनीतिक वारिस और सबसे बड़ा किसान हितैषी होने की राजनीति कर रहे थे। तब उन्होंने विधानसभा से कृषि कानूनों के विरोध में और किसानों के समर्थन में इस्तीफा दिया था।

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