आरुषि ने बदला परिवेश, सज-धज पराली गयी परदेस
महावीर गोयल
पानीपत, 11 जून
पानीपत भले ही कई तरह के रद्दी-कचरा अवशेषों के पुनश्चक्रण (रिसाइकिलिंग) उद्योग के हब के रूप में देश-विदेश में अग्रणी पहचान बनाये हुए है। इस प्रक्रिया में अब विदेश से निपुण होकर लौटी एक उद्यमी युवती ने पराली से हैंडलूम हैंडीक्राफ्ट के पुन: उत्पाद की नयी तकनीक इजाद करके इस उद्योग में आश्चर्यजनक इजाफा कर दिखाया है।
लंदन से पराली (वेस्ट) के पुन: उपयोग में तीन वर्ष की रिसर्च करके लौटी इस उत्साही युवती का कहना है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो अनेक रास्ते आपके समक्ष खुल जाते हैं। आरुषि मित्तल नामक पानीपत की इस बेटी ने अपनी सिद्धहस्त कला से पराली से कई तरह के उत्पाद निर्मित और निर्यात करके पराली के प्रदूषण से परेशान समस्त उत्तर भारत के लिए विशुद्ध वातावरण निरंतर बनाए रखने की आशाएं जाग्रत करके रख दी हैं। इतना ही नहीं, इस नव-तकनीकी उद्योग के माध्यम से उन्होंने महिलाओं के लिए रोजगार के और द्वार खोलने में भी अहम भूमिका निभाई है।
पानीपत रिसाइकिल इंडस्ट्री का हब है। यहां विदेश से आने वाली कतरन, पुराने कपड़ों से धागा बनाकर फिर से कपड़ा बनाया जाता है, जिसे विदेशों में ही बेच कर विदेशी मुद्रा कमाई जा रही है। पुराने कपड़ों, कतरन से रंगीन धागे भी बनाए जा रहे हैं, जिससे पानी की बचत भी हो रही है। पराली से ही पानीपत रिफाइनरी में करोड़ों रुपये की लागत से एथनाॅल बनाने का प्लांट लगाया गया। आरुषि ने बाबरपुर मंडी (पानीपत) में पराली से उत्पाद बनाने के लिए उद्योग स्थापित किया। यहां वे ग्रामीण महिलाओं काे रोजगार उपलब्ध करवा रही हैं। वे पराली से टेबल मैट, रनर, कोस्टर, वाल हैंगिंग, योगा मैट, प्रार्थना में काम आने वाले प्रेयर मैट से लेकर हैंडीक्राफ्ट उत्पाद बना रही हैं। मड कलेक्शन दीया, गणेश का स्वरूप भी पराली से बनाये जा रहे हैं।
आरुषि के पिता प्रवीण मित्तल टेक्सटाइल हैंडलूम के निर्यातक हैं। पराली से हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट के उत्पाद बनाने से उनका निर्यात कारोबार भी बढ़ता जा रहा है। साथ ही, रोजगार के नये अवसर उपलब्ध हुए हैं।
यूपी-हरियाणा से खरीदी पराली
आरुषि ने शुरुआत में उत्तर प्रदेश और हरियाणा से 35 एकड़ की पराली खरीदी। पराली से 500 से लेकर 800 रुपये के मैट बनाए जा रहे हैं। इसके साथ ही पराली से कागज भी बनाया जा रहा है। दिल्ली से लेकर दुबई तक पराली से बने उत्पादों काे डिस्पले किया जा चुका है। आरुषि बताती हैं कि कुशन टेबल मैट के साथ इंटीरियर डिजाइन के लिए भी अनेक उत्पाद पराली से तैयार किए जा रहे हैं।