सुसंस्कार लाने की सार्थक पहल
घमंडीलाल अग्रवाल
कहानी, कविता और ग़ज़ल लेखन के उपरांत डॉ. सुरीति रघुनंदन की प्रथम कृति प्रकाशित हुई है ‘मन का राजा’। कृति में 45 प्रेरक और शिक्षाप्रद कविताओं का समावेश है। इन कविताओं के माध्यम से बच्चों में सुसंस्कार लाने का प्रयास किया गया है। यदि ऐसा हुआ तो कवयित्री का यह संग्रह अपने उद्देश्य में सफल हो सकेगा।
अधिकांश कविताओं में प्रेरणा का पुट मिलता है, जैसे नया विश्वास, मंजिल, बोझिल, बुद्धि, मौलिकता संभावना, कुंजी, गुलाम, कंफर्ट जोन, निर्भरता, संभव, जीवन-कबड्डी, सफलता, निष्काम, इच्छा-शक्ति, हिम्मत, कोहरा, आत्म अनुशासन, जाल आदि कविताएं। कुछ पंक्तियां ‘नया विश्वास’ से प्रस्तुत हैं :-
नई आशा नया विश्वास लिए
इस बार परीक्षा पास करेंगे।
कमियों को मिटाकर अब
प्रदर्शन बहुत ही खास करेंगे।
इन कविताओं में शिक्षा व संदेश का भरपुर पुट है- मेहनत, शिक्षा, पढ़ना, परीक्षा, परीक्षा की तैयारी, प्रबंधन, कुंदन, मन का राजा, आसक्ति, काम, अनुकरण, जीवन-व्यापार, दिवास्वप्न, पर्वत, समय, मत टालो, ज्ञान, जाल, आलस्य, सर्वांगीण विकास।
कुछ उपयोगी वस्तुएं भी कविताओं का विषय बनी हैं, जैसे गुल्लक, मोबाइल, पुस्तक। कुछ पंक्तियां ‘मोबाइल’ नामक कविता से देखिए :-
समय-सारणी को बस अपनाओ,
जीवन को जरा सरल बनाओ।
मोबाइल संग कम रहो अब तुम,
अपनी शक्तियों को ना गंवाओ।
इसी प्रकार राष्ट्रभाषा हिंदी के महत्व को दर्शाने वाली कविता ‘हिंदी’ भी पुस्तक में निहित है। मनोरंजन प्रधान कविताओं के शीर्षक हैं- हास्य गुलबंद। कुछ कविताएं छंदमुक्त भी हैं।
पुस्तक : मन का राजा लेखिका : डॉ. सुरीति रघुनंदन प्रकाशक : सृष्टि प्रकाशन, चंडीगढ़ पृष्ठ : 60 मूल्य : रु. 200.