For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

शहरी-ग्राम्य संस्कृति का अनुपम संगम

11:51 AM Nov 11, 2024 IST
शहरी ग्राम्य संस्कृति का अनुपम संगम
Advertisement

योगेन्द्र माथुर
पुण्य सलिला शिप्रा के पावन तट पर स्थित भगवान महाकालेश्वर की नगरी, भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली, महाकवि कालिदास की कर्मस्थली और न्यायप्रिय राजा विक्रमादित्य की राजधानी उज्जैन, अपनी पुरातन धार्मिक, पौराणिक व सांस्कृतिक विरासत के कारण सम्पूर्ण विश्व में विख्यात है। इन कारणों के अलावा यदि उज्जैन की किसी और वजह से विशेष पहचान है, तो वह है कार्तिक मेला। विश्वप्रसिद्ध कुंभ या सिंहस्थ मेले के बाद नदी के किनारे लगने वाला यह उज्जैन का सबसे बड़ा मेला होता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु कार्तिक मास में नदी किनारे पहुंचते हैं। चूंकि कार्तिक पूर्णिमा का स्नान अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, अतः अधिकांश स्थानों पर कार्तिक पूर्णिमा से आरंभ होने वाला कार्तिक मेला विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के आकर्षण का केंद्र होता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर पौराणिक शिप्रा नदी में श्रद्धालुओं द्वारा दीप दान किए जाने के साथ ही कार्तिक मेले की शुरुआत हो जाती है। 15 दिन की अवधि के लिए लगने वाले इस मेले के आरंभिक तीन दिन यहां गधों का बाजार भरता है। गधों का आकर्षण और कीमत बढ़ाने के उद्देश्य से इनके मालिकों द्वारा इनकी साज-सज्जा की जाती है, और इन्हें राजनीतिज्ञों एवं लोकप्रिय फिल्म अभिनेताओं की तर्ज पर आमिर, सलमान, शाहरुख, अक्षय, ऋतिक, रणवीर जैसे नाम दिए जाते हैं। जब ये बिकते हैं, तो अखबारों और समाचार चैनलों की हेडलाइंस बड़ी रोचक होती हैं।
इस मेले में बड़ी संख्या में विभिन्न प्रांतों के व्यापारी अपना व्यवसाय करने के लिए पहुंचते हैं। जीवन उपयोगी लगभग सभी वस्तुओं का क्रय-विक्रय इस मेले में होता है।
मेले में मनोरंजन की दृष्टि से विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक कार्यक्रमों के साथ-साथ क्रीड़ा प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है। वहीं साहित्य प्रेमी श्रोताओं को कवि सम्मेलन और मुशायरों जैसी रंगीन दावतें भी दी जाती हैं। अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित होने वाले ये कार्यक्रम एक ओर जहां राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों, कवियों और शायरों से साक्षात परिचय पाने का माध्यम बनते हैं, वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रतिभाओं को अपनी कला का प्रदर्शन करने के सुनहरे अवसर भी प्रदान करते हैं। भजन संध्या, कव्वाली और आर्केस्ट्रा जैसे आयोजन भी इस मेले में होते हैं।
मेले में प्रायः सभी शासकीय विभागों की प्रदर्शनियां जनता के आकर्षण का केंद्र बनती हैं। विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक और मोटर व्हीकल कंपनियां मेले में स्टॉल लगाकर अपने उत्पादों पर विशेष ‘मेला छूट’ से ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इसी प्रकार, खादी ग्रामोद्योग जैसे शासकीय और वित्त पोषित कपड़ा संस्थान, काष्ठ और हस्तशिल्प उद्योग भी अपने उत्पादों के साथ मेले में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।
खानपान इस मेले का मुख्य आकर्षण होता है। यहां पंजाबी, गुजराती, मराठी और दक्षिण भारतीय व्यंजनों की धूम होती है।
कुल मिलाकर, कार्तिक मेला में ग्राम्य और शहरी नागरिक जीवन व संस्कृति का अद्भुत संगम, समन्वय और सौंदर्य दिखाई पड़ता है।

Advertisement

Advertisement
Advertisement