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सादी शादी बनकर रह गया सपना

07:40 AM Jul 18, 2024 IST
सादी शादी बनकर रह गया सपना
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शमीम शर्मा

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अमेरिका या इंग्लैंड में किसी शादी-ब्याह में सौ लोगों को बुलाओ तो नब्बे आते हैं और नब्बे ही गिफ्ट आते हैं। अपने यहां सौ बुलाओ तो ढाई सौ आते हैं और गिफ्ट सिर्फ पचास-साठ। इसके अलावा साठ-सत्तर प्लेटें गुम, दो दर्जन चम्मच और कई गिलास गुम। दो-चार कुर्सियों की टांग भी गुम और चारों तरफ प्लास्टिक क्राकरी के अंबार। कई रिश्तेदारों का मुंह फूलता है वो अलग।
सादी शादी तो अब एक सपना बनकर रह गई है। वरना आमतौर पर शादी पैसे की बर्बादी मात्र रह गई है। शादियों में पैसा फूंकने पर होड़-सी मची हुई है। दिखावे का चरम बिन्दु यहां तक पहुंच गया है कि आम आदमी कर्जे मंे धंसना भी स्वीकार कर लेता है। सच्चाई यह है कि हर व्यक्ति अपने विवाह में वाह-वाह सुनना चाहता है। चाहे उसे घर फूंक तमाशा ही क्यों न देखना पड़े। अब शादी के खर्चों पर उपदेश देना निरर्थक हो चुका है। शादी के अनाप-शनाप खर्चों को गले लगाकर इंसान तनाव और कुंठा को बुलावा देता है। विवाह दरअसल एक संस्कार है पर सब जानते हैं कि अब इस संस्कार में दरार पड़ते देर नहीं लगती।
इधर एक शादी खूब चर्चा का विषय रही। पूरा देश आज के दिन भी केलकुलेशन मंे लगा हुआ है कि मुकेश अंबानी ने अपने बेटे की शादी में कितना खर्च किया। भावी जोड़ों ने इस शादी के मेहमानों के कपड़ों के डिजाइन नोट किये तो किसी ने डेकोरेशन के स्टाइल। बड़े-बड़ों ने खूब ठुमके लगाये। पता नहीं पैसा ठुमक रहा था या उल्लास? प्री-वेडिंग शूट से लेकर रिसेप्शन पार्टी तक की यात्रा में पैसे की खनक जोरों पर रही। कहीं कहीं तो आम आदमी की शादी का उपहास उड़ाता अट्टहास सुनाई दिया। करोड़ों-अरबों का धुआं हो गया। फिर भी एकाध ने कह ही दिया होगा कि शादी फीकी-फीकी सी लग रही है। जिन्हंे निमंत्रण पत्र मिला उन्होंने स्वयं को धन्य माना होगा। इधर कुछ लोग यह भी कहते सुने गये हैं कि अनंत अंबानी की शादी का कार्ड किसी को मिला या नहीं, पता नहीं पर शगुन सबको देना पड़ रहा है क्योंकि जियो के रेट में हाल ही में बढ़ोतरी हुई है। यह शगुन तो पूरे देश को सालों साल देना पड़ेगा।
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एक बर की बात है अक सुरजा अपणे छोरे तै बूज्झण लाग्या- हां रै, आज तेरी मां चुपचुपाती क्यूंकर बैट्ठी है? नत्थू बोल्या- मेरी गलती तै। बाब्बू बोल्या- तन्नैं के चाला रोप दिया? नत्थू नैं बताई अक मां लिपसटिक मांगै थी अर मन्नैं गलती तैं फेवीकविक पकड़ा दी। सुरजा नत्थू के सिर पै हाथ फेरते होये बोल्या- जुग जुग जीवै मेरा लाल। ईसा छोरा रामजी सबनैं देवै।

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