ऐतिहासिक पात्र की छंदबद्ध प्रस्तुति
केवल तिवारी
हमारे भारत भूमि में अनेक ऐसे नायक हुए हैं जिन्होंने समाज सेवा, देश सेवा में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। इन विभूतियों के संदर्भ में अलग-अलग तरीके से अनेक लेखकों-कवियों ने अपनी कलम चलाई है। उनके बारे में कुछ अलग जानकारियां जुटाई हैं। ऐसे ही एक देशसेवक नायक रहे राजा महेंद्र प्रताप। समाज एवं देशहित में अपना सब कुछ छोड़ने वाले राजा महेंद्र प्रताप पर एक पुस्तक आई है जिसका नाम है ‘आर्यन पेशवा राजर्षि महेंद्र प्रताप।’ लेखक हैं डॉ. धर्मचंद्र विद्यालंकार।
किताब की विस्तृत भूमिका में लेखक ने गद्यात्मक शैली में राजा महेंद्र प्रताप के जीवनयात्रा का वर्णन किया है। इसमें उनके जन्म, प्रारंभिक शिक्षा से लेकर देश-विदेश तक की यात्रा वृत्तांत का संक्षिप्त विवरण है।
पुस्तक के इस प्रस्तावना भाग में ही तीन खंड हैं। हर खंड में अलग-अलग जानकारी। बेशक यह भूमिका है, लेकिन जानकारी विस्तृत है। इसके बाद कुल 11 खंडों में पुस्तक की काव्यात्मक प्रस्तुति है। निश्चित रूप से किसी के जीवन चरित्र को पद्यात्मक शैली में पिरोना एक कठिन साहित्य साधना है। इसे डॉ. विद्यालंकार ने बेहतरीन ढंग से पूर्ण किया है। बात भूमिका की हो या फिर पुस्तक के अगले भाग की, कहीं-कहीं शब्द संयोजन और तुकांत काव्य में थोड़ा अटकाव होता प्रतीत होता है, लेकिन जानकारी रूप में चलते ऐतिहासिक घटनाक्रम के सिलसिले में ऐसी कुछ बातें रुकावट नहीं बनतीं। ऐतिहासिक नायक के जीवन को छंदबद्ध करने का यह प्रयास बेहतरीन है।