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लघुकथाओं के जरिये जीवन का विहंगम परिदृश्य

07:44 AM Apr 14, 2024 IST
लघुकथाओं के जरिये जीवन का विहंगम परिदृश्य
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सुभाष रस्तोगी

पुस्तक : लघुकथा में प्रयोग सम्पादक : अशोक भाटिया प्रकाशक : अनुज्ञा बुक्स, शाहदरा, दिल्ली पृष्ठ : 208 मूल्य : रु. 300.

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बहुमुखी व्यक्तित्व और बहुआयामी प्रतिभा के यशस्वी साहित्यकार अशोक भाटिया की अब तक सात विधाओं की 44 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। लेकिन मुख्यतः वे एक प्रयोगधर्मी लघुकथाकार और लघुकथा चिंतक के रूप में जाने जाते हैं। उनके अब तक प्रकाशित तीन लघुकथा संग्रह व हिन्दी और पंजाबी में लघुकथा साहित्य के विविध पक्षों को लेकर सन‍् 1990 से शुरू हुए पुस्तक प्रकाशन के क्रम में उन की सद्य: प्रकाशित पच्चीसवीं पुस्तक ‘लघुकथा में प्रयोग’ इसके एक साक्ष्य के रूप में देखी जा सकती है। हालांकि, वे इसे ‘लघुकथा में प्रयोग पर प्राथमिक स्तर का ही काम’ मानते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। इसके नेपथ्य में सम्पादक की सतत साधना और उनकी तत्वान्वेषी नीर-क्षीर विवेकी दृष्टि भी दिखाई देती है। अब लेखक से ही जानें इसकी तैयारी की पूर्वपीठिका ‘सारिका’, ‘हंस’ और ‘कथादेश’ के उपलब्ध अंकों और उनसे संबंधित फाइलों को छाना, तो बात कुछ बनती लगी। फिर चैतन्य त्रिवेदी के ‘उल्लास’ और ‘कथा की अफवाह’ लघुकथा संग्रहों, रवीन्द्र वर्मा के ‘पचास बरस का बेकार आदमी’ और मुकेश वर्मा के ‘इस्तगासा’ कहानी संग्रहों की लघु‌कथाएं छानी। इधर-उधर से सूचनाएं संजोई और मित्रों से चर्चा कर कुछ लघुकथाएं मंगाईं। इसमें हिन्दी के साथ बांग्ला, उर्दू, गुजराती और अंग्रेजी, जर्मन आदि भाषाओं से भी कुछ लघुकथाएं शामिल की गईं।
अशोक भाटिया की सद्यः प्रकाशित संपादित कृति ‘लघुकथा में प्रयोग’ के आलोचना-पक्ष में ‘लघुकथा में प्रयोग : एक अध्ययन’ निश्चय ही एक महत्वपूर्ण आलेख है जिसमें लघुकथा में प्रयोगधर्मिता से संबंधित सभी तथ्यों को सतर्क खंगाला गया है। उनका मानना है कि प्रयोग प्रयोग के लिए न‌हीं किए जाने चाहिए, बल्कि उनका उद्देश्य रचना की सामर्थ्य का संवर्धन करना होना चाहिए। इस कृति के दूसरे खंड में हिन्दी के 68 लब्ध प्रतिष्ठ लघु कथाकारों की 107 लघुक‌थाएं संकलित हैं तथा चीनी (1), बांग्ला (2), अंग्रेजी (4) और जर्मन भाषा की (1) लघुकथाएं पाठकों से मुखातिब हैं।
प्रभाकर माचवे की लघुकथा ‘अपराध’ स्त्री-पुरुष संबंधों को इस तरह से एक नयी दृष्टि से देखती है कि पाठक की चेतना का अविभाज्य हिस्सा बन जाती है।
समग्रतः अशोक भाटिया की सद्यः प्रकाशित संपादित कृति ‘लघुकथा में प्रयोग’ प्रयोगधर्मी लघुकथाओं की मार्फत जीवन के एक विहंगम परिदृश्य का आईना बनकर सामने आई है।

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