उजले अहसासों से रोशन ज़िंदगी
प्रेम चंद विज
‘मुझ में कितना कौन’ काव्य संग्रह के रचयिता डाॅ. धर्मपाल साहिल बहुमुखी प्रतिभा के लेखक हैं। उपन्यास इनकी प्रिय विधा है। लघुकथा, यात्रा संस्मरण, बाल-साहित्य पर भी पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। अनेक पुस्तकें पंजाबी में भी अनूदित हो चुकी हैं। समीक्ष्य कृति एक लघु कविता संग्रह है।
लघु-कविताएं आकार की दृष्टि से भले ही छोटी होती हों लेकिन विचार की दृष्टि से पूर्ण होती हैं। ये कविताएं मन के गहन अनुभव, व सामाजिक वेदना को लिए हुए है। इनमें प्रेम, विरह, मनुष्य, प्रकृति, विश्व, समाज, घर और शहर सबका चित्रण है। यह जीवन के दर्शन को भी व्यक्त करती हैं।
अनेक कविताओं में जीवन दर्शन को कवि ने बहुत ही सहज भाव से व्यक्त किया है। ‘खालीपन’ कविता में यही भाव मिलता है। आदर्श में खाली जगह भरने का सवाल जीतना आसान होता है, जिंदगी में इसी सवाल का जवाब देना उतना ही मुश्किल हो जाता है—जितना आसान होता था/ खाली जगह/ भरने का सवाल/ जिंदगी में/ इसी सवाल ने/ कर दिया है जीना मुहाल।
रिश्तों की कवि ने बहुत सुन्दर परिभाषा दी है। यह भाव रिश्ते नाम के कविता में मिलते हैं।
‘मुझमें कितना कौन’ कविता पर काव्य संग्रह का नामकरण हुआ है। कवि कहता है- कई अनजान चेहरे रूह में उतर जाते हैं। वह कौन से हैं, उनकी गणना मुश्किल है। कवि पौराणिक संदर्भों को आधुनिक समय के अनुरूप प्रस्तुत करता है।
कवि कहीं स्वयं को तलाशता है, ढूंढ़ता है और फिर अपने लिए खुद का रास्ता बनाता है। ‘जुदा होना’ कविता में कहता है—‘उसी मिट्टी से बना हूं/ उसी सांचे में ढला हूं/ करिश्मा कुदरत का है/ तुम जैसा होकर भी/ मैं तुम से जुदा हूं।’
जीवन का दर्शन ‘जिंदगी’ कविता में मिलता है। जिंदगी चाहे क्षणभर की होती है। पानी के बुलबुले की तरह फिर भी सिर उठाकर जीने के लिए कवि कहता है—‘जिंदगी/ तू पानी का बुलबुला ही सही/ उसी से सीख ले/ जीने का ये अंदाज/ बुलबुला/ जब तक जीता है/ सिर उठाकर जीता है।’
कवि ने सहज व सरल भाषा में अपनी बात को कविताओं में व्यक्त किया है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ये अंधेरे की दुनिया को आलोकित करती कविताएं हैं।
पुस्तक : मुझमें कितना कौन (काव्य संग्रह) कवि : डाॅ. धर्मपाल साहिल प्रकाशक : अयन प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 148 मूल्य : रु. 360.