अलग-अलग भूमिकाओं में आधी सदी का सफर
सरोज वर्मा
फिल्म जगत में 50 साल पूरे कर चुके हैं एक्टर विजय टंडन। उनसे हुई एक बातचीत में उन्होंने ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा कि वे खुद को खुशनसीब मानते हैं। इसकी पहली वजह बताते हैं कि अपनी फ़िल्मी जर्नी की आधी सदी पार कर चुका हूं और अभी भी काम कर रहा हूं। वहीं दूसरी वजह यह कि पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री ने बहुत ज्यादा प्यार, सत्कार और काम दिया।
मेहर मित्तल को मानते हैं गॉड फादर
विजय टंडन भारतीय फिल्म अभिनेता और निर्माता हैं जो भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में अपने काम से अच्छी पहचान कायम रखने में कामयाब रहे। बता दें कि अभिनेता और निर्माता विजय टंडन का जन्म 13 मार्च 1950 को पंजाब के जगराओं में हुआ। उसके बाद वे चंडीगढ़ शिफ्ट हो गए। यही से उन्होंने अपनी पढ़ाई की। थिएटर भी चंडीगढ़ से ही सीखा। टंडन बताते हैं, ‘मुझे फ़िल्मों में लाने वाले पंजाबी फिल्मों के प्रसिद्ध हास्य अभिनेता मेहर मित्तल थे। मैं उन्हें अपना गॉड फादर मानता था। उनके साथ कई प्ले किए,... बहुत कुछ सीखा।’
फिल्म ‘तेरी मेरी इक ज़ीन्दड़ी’ से शुरुआत
विजय टंडन ने अपने कैरियर की शुरुआत थिएटर से की। शिक्षा प्राप्त की और फिर फ़िल्मी दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘तेरी मेरी इक ज़ीन्दड़ी’ के माध्यम से फिल्म उद्योग में अपनी पहचान बनाई। उसके बाद ‘मां दा लाड़ला’ की, जो एक सफल और बेहतर फिल्म के रूप में प्रतिष्ठित हुई। विजय टंडन के मुताबिक, ‘अगर अपनी पसंदीदा फ़िल्म की बात करूं तो ‘सरदारे आज़म’ मेरी सबसे फेवरिट फ़िल्म थी जो एक शहीद की लाइफ पर बनाई गई थी। उसमें मेरा मेन हीरो का रोल था। बस उसके बाद एक के बाद एक कई फिल्में मिलती रही।’
हीरो से लेकर दादा-नाना तक के रोल
विजय टंडन की योग्यता और दक्षता ने उन्हें सिनेमा के क्षेत्र में एक सम्मानित स्थान पर पहुंचाया है। वे कई सीरियलों व पंजाबी फिल्मों कचहेरी, मित्र प्यारे, यमला जट, शहीद उधम सिंह, जट्टी, अपनी बोली अपना देश , बिछोरा, जट एंड जूलियट 2 आदि में काम कर चुके हैं तथा अभी भी काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे एक ऐसे एक्टर हैं जिसने हीरो से लेकर दादा ,नाना, आदि कई तरह के रोल किये व अब भी भूमिकाएं अदा कर रहा हूं। अभी हाल में पंजाबी फिल्म ‘गड्डी जांदी है छलंगा मारदी’ में एक महत्वपूर्ण किरदार निभाया।
कामयाबी का मंत्र
150 से भी ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं विजय टंडन। साथ ही आधी सदी फिल्म इंडस्ट्री में पूरी कर चुके हैं। वे इस क्षेत्र में अपनी कामयाबी का बड़ा सरल सा मंत्र बताते हैं - कभी खुद को बड़ा मत समझो और अपना बर्ताव सही रखो। यही ज़िंदगी का मूलमंत्र है। विजय टंडन ने एक फिल्म निर्माता के रूप में भी अपना बेहतर प्रभाव दिखाया है। उनका समर्थन , मार्गदर्शन व योगदान सिनेमा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण यात्रा का हिस्सा है।