नियमों को ताक पर रखकर दिया गया भारी भरकम कर्ज
शिमला, 30 जनवरी (हप्र)
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक में हुए कथित ऋण घोटाले में जैसे-जैसे विजिलेंस जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे बैंक के अधिकारियों और कर्मचारी की मिलीभगत की परतें खुलती जा रही हैं।
विजिलेंस जांच में खुलासा हुआ है कि बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों ने सभी नियमों को ताक पर रखकर दो फर्मों को कर्ज दे दिया।
विजिलेंस सूत्रों के अनुसार करोड़ों का कर्ज देने के लिए नियमों की खुलेआम अवहेलना हुई। सूत्रों के अनुसार फर्जीवाड़े को लेकर दर्ज एफआईआर में नामजद मेसर्स हिमालय स्नो विलेज और मेसर्स होटल लेक पैलेस के मालिक युद्ध चंद बैंस पहले से ही बैंक के एक ऋण मामले में डिफॉल्टर हैं।
इस मामले में जो लोग गारंटर बनाए गए थे, उन्हीं में से कुछ को दूसरे ऋण मामले में भी गांरटर बना दिया गया। जबकि आरबीआई के नियमों के अनुसार उनसे पहले के ऋण मामले में वसूली की जानी थी।
ऐसे में तत्कालीन बैंक के अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है। विजिलेंस द्वारा ऋण कमेटी की प्रोसीडिंज्स और दस्तावेजों की जांच पड़ताल में कई अनियमिताएं पाई गई हैं।
सूत्रों के अनुसार ऋण नीतियों को दरकिनार कर एक मुश्त ऋण दिया गया जबकि 4 करोड़ से अधिक का ऋण नहीं दिया जा सकता है।
विजिलेंस इस मामले में ऋण लेने वाले व्यक्ति बैंस से लंबी पूछताछ कर चुकी है। इस मामले में शनिवार को अदालत में सुनवाई होनी है। इस ऋण घोटाले में विजिलेंस ने आरोपियों के खिलाफ ऊना विजिलेंस थाने में एफआईआर दर्ज की है।