ऐसी कब्र, जिस पर बरसाये जाते हैं जूते-चप्पल... 300 साल से चली आ रही परंपरा
विकास कौशल/निस
बठिंडा, 15 जनवरी
श्री मुक्तसर साहिब में माघी मेले के अवसर पर एक अनूठी परंपरा निभाई गई। पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब में एक ऐसी कब्र है, जिसे वहां से गुजरने वाले जूते-चप्पल मारते हैं। हर वर्ष की तरह, इस बार भी माघी के मेले में आए श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारा श्री दातनसर साहिब के पास स्थित इस कब्र पर जूते-चप्पल बरसाए। यह परंपरा एक ऐतिहासिक घटना से जुड़ी है। दरअसल, यहां साल में एक बार मेला लगता है और बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालु यहां दरबार साहिब के दर्शन के लिए आते हैं। ये कब्र मुगलों के जासूस नूरदीन की है, जिसने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को जान से मारने की कोशिश की थी। इस स्थान पर नूरदीन को दफ़न किया गया था। कब्र श्री दरबार साहिब के पास है, इसी दौरान श्रद्धालु कब्र पर भी जाते हैं और उसे जूते-चप्पल मारते हैं। ऐसी मान्यता है कि आज भी नूरदीन को उसके पापों की सजा दी जा रही है। यह परंपरा लगभग 300 वर्षों से निरंतर चली आ रही है।
क्या कहता है इतिहास
सिख इतिहास के अनुसार, नूरदीन एक जासूस था जो मुगलों के लिए काम करता था। मुगलों के इशारे पर नूरदीन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ भेष बदल कर रहने लगा। वो गुरु साहिब पर वार करने के मौके ढूंढ रहा था लेकिन उसका दांव नहीं लग रहा था। एक सुबह जब श्री गुरु गोबिंद सिंह जी यहां दातुन कर रहे थे, तब नूरदीन ने पीछे से उन पर बरछे से हमला किया लेकिन गुरु जी ने बड़ी फुर्ती से अपने हाथ में पकड़े लोटे से आत्मरक्षा करते हुए नूरदीन को मार गिराया था। इसके बाद नूरदीन को वहीं दफना दिया गया। तब से लेकर आज तक, प्रति वर्ष माघी मेले के दौरान हजारों-लाखों श्रद्धालु इस स्थान पर आते हैं। वे नूरदीन की कब्र पर जूते-चप्पल बरसाकर गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रति अपनी अटूट श्रद्धा व्यक्त करते हैं।