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अपार संभावनाओं का क्षेत्र

08:08 AM Jul 02, 2024 IST
अपार संभावनाओं का क्षेत्र
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डॉ. जयंतीलाल भंडारी
हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक में कहा कि एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल में वर्ष 2024-25 का बजट ऐतिहासिक होगा। यह देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने वाले विभिन्न सेक्टरों के भविष्य के दृष्टिकोण के लिहाज से बहुत ही प्रभावी दस्तावेज होगा।
नए बजट के माध्यम से सरकार पर्यटन से आय बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की संभावनाओं को रणनीतिक रूप से आगे बढ़ाते हुए दिखाई दे सकती है। कहा जा रहा है कि भारत में घरेलू और विदेशी पर्यटन तेजी से बढ़ रहा है और भारत में पर्यटन सेक्टर बढ़ने की असीम संभावनाएं हैं।
पर्यटन मंत्रालय की हालिया प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी से अप्रैल, 2024 के दौरान भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की कुल संख्या 34,71,833 रही जो एक साल पहले की समान अवधि में 31,33,751 थी। इन चार महीनों में न केवल भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ी है, वरन इन चार महीनों में पर्यटन से विदेशी मुद्रा में आय सालाना आधार पर 27.18 प्रतिशत बढ़कर 90,600 करोड़ रुपये हो गई है। ऐसे में अब पर्यटन सेक्टर को मजबूत आधार देकर पर्यटन से विदेशी मुद्रा की कमाई बढ़ाई जा सकती है। दरअसल, एक विदेशी पर्यटक से औसतन 2 लाख रुपये की कमाई होती है। साथ ही पर्यटकों का खर्च स्थानीय अर्थव्यवस्था में पुनः निवेश का काम करता है। पर्यटकों की संख्या बढ़ने से रोजगार और पर्यटन से जुड़े विभिन्न उद्योग-कारोबार भी बढ़ते हैं।
वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम ने यात्रा और पर्यटन विकास सूचकांक (टीटीडीआई) 2024 जारी किया है। 119 देशों के इस सूचकांक में भारत 39वें स्थान पर है। इसके पहले टीटीडीआई सूचकांक 2019 में भारत काफी नीचे 54वें स्थान पर था। नये टीटीडीआई सूचकांक में भारत पर्यटन से जुड़े कई महत्वपूर्ण संसाधन मापदंडों पर प्रमुख पर्यटन प्रधान देशों की सूची में शामिल है। प्राकृतिक मापदंड पर भारत छठे, सांस्कृतिक, कारोबार, चिकित्सा और शिक्षा के लिए यात्रा मापदंडों पर भारत 9वें क्रम पर है। इनमें कीमत प्रतिस्पर्धात्मकता के मामले में भारत 18वें, हवाई यातायात की प्रतिस्पर्धात्मकता के मामले में 26वें और जमीनी एवं बंदरगाह बुनियादी ढांचे के मामले में 25वें स्थान पर है। इस पर्यटन सूचकांक के विश्लेषण से यह भी मालूम होता है कि स्वच्छता, स्वास्थ्य, पर्यावरण सततता, इंटरनेट कनेक्टिविटी, और पर्यटन के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव जैसे मापदंडों पर भी भारत ने प्रगति की है।
भारत को इस बात पर ध्यान देना होगा कि दुनिया के सभी प्रमुख पर्यटन गंतव्यों देशों के पर्यटन स्थलों की प्रमुख पहचान उनकी सुंदरता और पेशेवर तरीके से तैयार किए गए उनके संग्रहालयों की भूमिका से भी है। वहां उपलब्ध बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता, साधारण से साधारण पर्यटक के लिए भी उच्च गुणवत्ता की स्थानीय सार्वजनिक परिवहन सेवाएं, बसें, ट्रेन, ट्राम आदि के साथ-साथ वहां किफायती कीमत पर ठहरने और स्वच्छ व सुरक्षित आवास स्थलों की हैं।
फिलहाल, दुनिया के विदेशी पर्यटकों की कुल संख्या का कोई दो फीसदी से भी कम हिस्सा ही भारत के खाते में आ रहा है। यद्यपि पर्यटन उद्योग भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 6 फीसदी का योगदान करता है लेकिन इसमें सिर्फ 8 करोड़ लोगों को ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से रोजगार मिला हुआ है।
भारत की संस्कृति, संगीत, हस्तकला, खानपान से लेकर नैसर्गिक सुंदरता हमेशा से देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करती रही है। भारत एक ऐसा देश है, जिसके पास हिमालय का सबसे अधिक हिस्सा, विशाल समुद्री तट-रेखा और रेत का रेगिस्तान, कच्छ में सफेद नमक रेगिस्तान, लद्दाख में ठंडे रेगिस्तान, देश के कोने-कोने में टाइगर रिजर्व और यूनेस्को द्वारा चिन्हित धरोहर स्थलों समेत अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान जैसी प्राकृतिक विविधताएं हैं। देश के विभिन्न भागों में तटीय पर्यटन, समुद्र तट पर्यटन और आध्यात्मिक पर्यटन स्थल अपनी चिर-परिचित पहचान बनाए हुए हैं और सभी प्रकार के पर्यटकों को आकर्षित करने की अपार संभावनाएं रखते हैं। इनके अलावा रामायण सर्किट, बुद्ध सर्किट, कृष्णा सर्किट, अयोध्या में राम मंदिर, उज्जैन में महाकाल लोक और वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम जैसे आस्था केंद्रस्थल देश व दुनिया के धार्मिक पर्यटकों के कदमों को असाधारण रूप से आकर्षित कर सकते हैं।
23 मई, 2024 को प्रकाशित रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय पर्यटकों ने वर्ष 2023-24 में विदेश घूमने पर 17 अरब डॉलर यानी करीब 1.41 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जो कि इसके पूर्व वर्ष 2022-23 में विदेश घूमने पर किए गए व्यय की तुलना में अधिक हैं। निश्चित रूप से जहां एक ओर भारतीयों का विदेश यात्रा करने की तरफ तेजी से बढ़ता रुझान घरेलू पर्यटन के मद्देनजर नुकसान की तरह है, वहीं देश के विदेशी मुद्रा कोष को घटाने वाला भी है। इस दिशा में गंभीरता से प्रयास जरूरी हैं।

लेखक अर्थशास्त्री हैं।

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