For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

लोकतंत्र के ज़ख़्म पर दस्तावेजी किताब

08:17 AM Oct 20, 2024 IST
लोकतंत्र के ज़ख़्म पर दस्तावेजी किताब
Advertisement

पुस्तक : आपातकाल आख्यान - इंदिरा गांधी और लोकतंत्र की अग्निपरीक्षा लेखक : ज्ञान प्रकाश अनुवाद : मिहिर पंड्या प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 414 मूल्य : रु. 499.

Advertisement

आलोक पुराणिक

तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की सिफारिश पर भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ने 25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा की। इस आपातकाल को भारत के लोकतंत्र पर लगे जख्म के तौर पर चिन्हित किया जा सकता है। करीब पचास साल पहले हुई आपातकाल की घोषणा पर अब भी राजनीतिक विमर्श उपस्थित है। तमाम राजनीतिक दल आपातकाल का हवाला देते हुए एक-दूसरे को कोसते हैं।
इतिहासकार ज्ञान प्रकाश ने आपातकाल के हवाले से एक किताब लिखी है—इमर्जेंसी क्रानिकल्स : इंदिरा गांधी एंड डेमोक्रेसीज टर्निंग पाइंट। इसका अनुवाद हिंदी में मिहिर पंड्या ने किया है। अनूदित पुस्तक का नाम है—आपातकाल आख्यान : इंदिरा गांधी और लोकतंत्र की अग्निपरीक्षा।
आपातकाल के कई आयाम थे। इंदिरा गांधी के परिवार का प्रभुत्व असीमित था। मारुति अब कार बाजार का बहुत बड़ा ब्रांड है, पर उस दौर में मारुति उपक्रम को राजनीतिक-आर्थिक दुरभिसंधि के प्रतीक के तौर पर रेखांकित किया जाता था। ज्ञान प्रकाश लिखते हैं :-
मारुति लिमिटेड को तकनीकी सहयोग देने के लिए मारुति टेक्नीकल सर्विसेज की स्थापना की गई। इस सहयोगी कंपनी में संजय की साझेदार उनकी भाभी सोनिया गांधी थीं। इस कंपनी के शेयरहोल्डरों में चार साल के राहुल और दो साल की प्रियंका के भी नाम थे। पूरी कंपनी के 99 प्रतिशत शेयर गांधी परिवार के ही पास थे। मारुति लिमिटेड ने इस सौदे के लिए मारुति टेक्नीकल सर्विसेज को पांच लाख रुपये दिए और भविष्य में तकनीकी सहयोग के बदले अपनी बिक्री से हुई कमाई का सालाना 2 फीसदी उन्हें भुगतान करने का वायदा किया। इस परामर्शदाता कंपनी की शुरुआत तो बस दो लाख की रकम के निवेश के साथ हुई थी, लेकिन जून, 1975 तक ये मारुति लिमिटेड से दस लाख की रकम डकार चुकी थी।
इन दिनों बुलडोजर चर्चा में है; उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम बुलडोजर से जोड़ा जाता है। पर इतिहास बताता है कि बुलडोजर की डरावनी तोड़फोड़ बहुत पुरानी है। इस किताब में ज्ञान प्रकाश लिखते हैं :-
प्रदर्शनकारियों की इस भीड़ को हथियारों से लैस विशालकाय पुलिस बल ने चारों तरफ से घेर रखा था। दिल्ली विकास प्राधिकरण के बुलडोजर पुलिस के ट्रकों के साथ नजदीक ही आसफ अली रोड पर लाइन लगाकर खड़े थे।
भारतीय लोकतंत्र के जख्म पर ज्ञान प्रकाश की यह किताब दस्तावेजी किताब है, राजनीति के हर विद्यार्थी को यह किताब पढ़नी चाहिए।

Advertisement
Advertisement
Advertisement