उत्तर व दक्षिण के बीच आपसी मेल का सराहनीय प्रयास
नारनौल, 6 अप्रैल (निस)
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़ में शनिवार को विख्यात कवि वानविल के. रवि के रचनाक्रम में राष्ट्र, प्रकृति और नारी शक्ति पर केंद्रित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। तमिल सांस्कृतिक शोध केंद्र (टीसीआरसी) व दयानंद कॉलेज अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में तमिल कवि वानविल के रवि मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार व सह अध्यक्षता विश्वविद्यालय की सम-कुलपति प्रो. सुषमा यादव ने की। मुख्य वक्ता के रूप में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रो. सुधीर प्रताप सिंह उपस्थित रहे। आयोजन में विश्वविद्यालय की प्रथम महिला प्रो. सुनीता श्रीवास्तव व एचजेएम उत्तर क्षेत्र के प्रमुख मुरली मनोहर की उपस्थिति रही।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि यह आयोजन एक उत्तर व दक्षिण के बीच आपसी मेल का उल्लेखनीय प्रयास है। उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत हजारों सालों पुरानी है। इसमें रामायण, गीता और भक्त प्रहलाद आदि कहानियां विद्यमान है। इन कहानियों का हमेशा से हमारे जीवन पर प्रभाव रहा है और आज इस ज्ञान की प्रमाणिकता को भी स्थापित करने के लिए प्रयास हो रहे हैं। कुलपति ने इस आयोजन के लिए हिंदी विभाग, टीसीआरसी और दयानंद कॉलेज अजमेर की सराहना की।
कार्यक्रम में हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीर पाल सिंह यादव, राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय की प्रो. एन लक्ष्मी अय्यर, टीसीआरसी की ओर से केंद्र के संयोजक पी.एस. राजा की उपस्थिति में विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार, समकुलपति प्रो. सुषमा यादव, प्रो. सुनीता श्रीवास्तव, श्री मुरली मनोहर जी को सम्मानित किया गया।
कवि वानविल ने कहा कि हमेशा से ही प्रकृति, राष्ट्र और नारी शक्ति के विचार मानवता का पोषक रहे हैं।
मंच का संचालन डॉ.अमित कुमार ने किया। इस मौके पर डॉ. किशन राम बिश्नोई, डॉ. पुकाजयेंडी, डॉ. अमित कुशवाहा, डॉ. अमरेंद्र श्रीवास्तव डॉ. टी. संगीथा, प्रो. पायल चंदेल, डॉ. कामराज सिंधु, डॉ. सिद्धार्थ शंकर राय, डॉ. अरविंद तेजावत, डॉ. स्नेहलता व डॉ. सुमन रानी भी उपस्थित रहे।