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प्रखर व पैनी धार का सुमेल

06:31 AM Jun 23, 2024 IST

मनोज कुमार ‘प्रीत’
हिंदी, उर्दू व फारसी शब्दों के सुमेल में लिखा अदनान कफ़ील दरवेश का दूसरा काव्य-संग्रह ‘नीली बयाज़’ एक खूबसूरत संकलन है। जिसमें एक सौ अट्ठावन पृष्ठों पर दो ग़ज़लों व पचहत्तर कविताएं अंकित हैं। छोटे से जीवन-अनुभव में प्रगाढ़ व प्रौढ़ भावों को लेकर रचित काव्य-धारा कवि की गहरी, प्रखर और पैनीधार सोच काे प्रभावित करती है।
पुस्तक की प्रत्येक कविता में सूक्ष्म भाव एक बड़े आयाम में स्थापित प्रतीत होते हैं। अत्यंत छोटी कविता ‘सराय’ व लगभग आठ पृष्ठों में फैली कविता ‘धूल’ अपनी बात को सही सिद्ध करती दिखाई देती है। काव्य-दर्शन में जहां राष्ट्र-प्रेम, हिंदी प्रेम व मानवीय सरोकारों से जुड़ी बाते हैं, वहीं विशेष सांप्रदायिक उन्मेष व दमनकारी
भावों की अधिकता है। जिसके कारण भय, अविश्वास, दुहाई, जब्र, अनैतिकता, बर्बरता, निर्वासन और विषाक्त वातावरण आम पाठक की मानसिकता को भयभीत करता है जबकि जीवन के विषम हालात से केवल प्रेम, करुणा व विश्वास से उबरा जा सकता है।
हालांकि, कविता की अनुभूति गहन तल को छूकर नवीन अहसास देती है जैसे कविता हंगाम, शहर एक विडम्बना है, तुम्हारे साथ व कंधे विचारशीलता की चरम को छूते हैं। जिसमें सुंदर बिम्ब, संकेत व प्रतीक पाठक को झकझोरते हैं और कविता को एक नये व पृथक विशाल कैनवस का अनुभव प्रदान करते हैं। लेकिन अधिकतर एक पक्षीय धरातल के काव्य-भाव बहुत कुछ सोचने पर विवश करते हैं।
संग्रह की खूबसूरती यह भी है कि कठिन फ़ारसी व उर्दू शब्दों का सरलीकरण साथ ही दिया गया है ताकि पाठक काव्य मर्म को सुगमता से समझ सके।
पुस्तक : नीली बयाज़ कवि : अदनान कफ़ील दरवेश प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 158 मूल्य : रु. 250.

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