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नि:संतान दंपतियों की आस्था का केंद्र

07:58 AM Dec 02, 2024 IST
नि संतान दंपतियों की आस्था का केंद्र
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कमलेश भट्ट
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित संतानदायिनी माता अनसूया का मंदिर नि:संतान दंपतियों के लिए एक प्रमुख आस्था का केंद्र है। यह मंदिर अपनी चमत्कारिक शक्ति और पवित्रता के लिए प्रसिद्ध है, जहां श्रद्धालु संतान सुख की प्राप्ति के लिए आते हैं। मंदिर का स्थान न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यहां की प्राकृतिक सुंदरता भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।

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पहुंचने का मार्ग

मंदिर तक संतानदायिनी माता अनसूया के मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को गोपेश्वर से 13 किलोमीटर सड़क मार्ग से यात्रा करनी होती है, और उसके बाद चार किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यह यात्रा धार्मिक अनुभव के साथ-साथ एक शारीरिक चुनौती भी प्रदान करती है, लेकिन श्रद्धालु इसे एक आध्यात्मिक यात्रा के रूप में देखते हैं।

संतान सुख का वरदान

यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां की चमत्कारिक शक्तियों के लिए भी प्रसिद्ध है। विशेष रूप से नि:संतान दंपति यहां आकर रातभर जागरण, ध्यान और जप-तप करते हैं। मान्यता है कि जब ये दंपति माता अनसूया के समक्ष भक्ति और तपस्या करते हैं, तो माता उनकी प्रार्थना स्वीकार कर उन्हें संतान सुख का वरदान देती हैं।

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पौराणिक कथा

मंदिर का पौराणिक महत्व बहुत गहरा है। कथाओं के अनुसार, अनसूया के पतिव्रत धर्म की महिमा जब तीनों लोकों में फैल गई, तो देवी पार्वती, लक्ष्मी, और सरस्वती ने त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश से अनसूया की परीक्षा लेने का आग्रह किया। त्रिदेव साधु वेश में अनसूया के आश्रम पहुंचे और शर्त रखी कि उन्हें गोद में बैठाकर होकर भोजन कराना होगा।
अनसूया ने अपने सतीत्व के बल से त्रिदेवों को शिशु रूप में बदल दिया और उनकी शर्त पूरी की। बाद में तीनों देवियों के अनुरोध पर अनसूया ने अपने तप और सतीत्व से त्रिदेवों को उनके असली रूप में लौटा दिया। यही कारण है कि माता अनसूया का यह स्थान पतिव्रता और सतीत्व का प्रतीक माना जाता है।

भगवान दत्तात्रेय जयंती

मंदिर में देवी अनसूया के साथ-साथ भगवान दत्तात्रेय और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। हर साल मार्गशीर्ष मास में, दत्तात्रेय जयंती के अवसर पर यहां दो दिवसीय अनसूया मेला आयोजित होता है। इस वर्ष यह मेला 14 और 15 दिसंबर को आयोजित होगा।

अनसूया मेला

इस मेले में न केवल स्थानीय लोग, बल्कि देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु और नि:संतान दंपति पहुंचते हैं। यह मेला एक विशेष धार्मिक महत्व रखता है, और श्रद्धालु अपनी आस्थाओं को प्रकट करने के लिए यहां आते हैं। मेले के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, पूजा-अर्चना और भक्ति कार्यों का आयोजन होता है।

आश्रम और जलप्रपात

मंदिर से कुछ ही दूरी पर अत्रि मुनि आश्रम स्थित है, जो एक शांतिपूर्ण स्थल है और यहां एक विशाल जलप्रपात भी है। यह जलप्रपात श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, और यहां की प्राकृतिक सुंदरता से लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
संतानदायिनी माता अनसूया का मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां की पौराणिक कथाएं और चमत्कारिक प्रभाव श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यह स्थान पतिव्रता और सतीत्व का प्रतीक है, और हर वर्ष यहां आने वाले श्रद्धालु अपने जीवन में संतान सुख की प्राप्ति के लिए माता अनसूया से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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