कला, संस्कृति व समावेशिता का उत्सव
काला घोड़ा कला महोत्सव एक समग्र कला उत्सव है, जो पारंपरिक और समकालीन कलाओं का संगम प्रस्तुत करता है। यह महोत्सव भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों को मंच प्रदान करने के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता भी फैलाता है।
नरेंद्र शर्मा
दक्षिण मुंबई के धरोहर माने जाने वाले व्यापक क्षेत्र में 25 जनवरी से 2 फरवरी तक चल रहे ‘काला घोड़ा कला महोत्सव’ (केजीएएफ) इस साल अपना रजत जयंती वर्ष मना रहा है। इन दिनों यह महोत्सव अपने रचनात्मक, नवाचार और जीवंत समावेशिता से मंत्रमुग्ध कर रहा है। एशिया का सबसे बड़ा और बहुविषयक स्ट्रीट आर्ट्स उत्सव केजीएएफ का मौजूदा रजत जयंती संस्करण, कलात्मक उत्कृष्टता और सामुदायिक जुड़ाव की एक-चौथाई सदी की कहानी कह रहा है। काला घोड़ा कला महोत्सव भारत के सांस्कृतिक परिदृश्य में हर गुजरते साल के साथ पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होता जा रहा है।
कलाओं का संगम
काला घोड़ा कला महोत्सव एक समग्र कला उत्सव है, जो पारंपरिक कलाओं के साथ-साथ समकालीन कला रूपों जैसे फोटोग्राफी, सिनेमा, साहित्य, थियेटर, नृत्य और संगीत को भी मंच प्रदान करता है। इस महोत्सव में सामाजिक मुद्दों पर आधारित कला प्रदर्शनियां आयोजित होती हैं, जो जागरूकता फैलाने का काम करती हैं, जैसे पर्यावरण संरक्षण, लैंगिक समानता और सांस्कृतिक विविधता के विषयों पर उत्कृष्ट अभिव्यक्तियां।
लोकल के साथ ग्लोबल
काला घोड़ा कला महोत्सव न सिर्फ मुंबई की धरोहर और स्थानीय कलाकारों का ‘अपना कला घर है’ बल्कि यह जितना स्थानीय है, उतना ही ग्लोबल भी है। यहां भारत के कोने-कोने से तो कलाप्रेमी अपनी कलाओं का प्रदर्शन करने आते ही हैं, बड़ी तादाद में अंतर्राष्ट्रीय कलाकार भी यहां आते हैं। काला घोड़ा क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व इसके इर्दगिर्द की मौजूद वास्तुकला के कारण भी है। यह महोत्सव संरक्षित मुंबई के उस इलाके में सम्पन्न होता है, जहां की ज्यादातर इमारतें वैश्विक धरोहर हैं या उसके अनुरूप हैं। वास्तव में दक्षिण मुंबई के जिस इलाके में यह मेला आयोजित होता है, वह पहले से ही अपनी वास्तुकला के कारण पूरी दुनिया में मशहूर है।
सार्वजनिक भागीदारी
काला घोड़ा कला महोत्सव एक निःशुल्क और खुले मंच के रूप में हर वर्ग के लोगों को अपनी कला प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है। यह महोत्सव भारतीय कलाओं को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने और स्थानीय कारीगरों व हस्तशिल्पियों को रोजगार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कला और संस्कृति के प्रसार में काला घोड़ा फेस्टिवल एक अहम स्थान रखता है, जो भारतीय कला को प्रोत्साहन और समाज के बीच संवाद स्थापित करता है। इस साल रजत जयंती के उपलक्ष्य में यह महोत्सव और भी भव्य तरीके से मनाया गया है।
इस साल काला घोड़ा कला महोत्सव में 300 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिन्हें 15 श्रेणियों में विभाजित किया गया। यह महोत्सव अब तक का सबसे बड़ा आयोजन था, जिसमें बच्चों के कार्यक्रम, सिनेमा, नृत्य, संगीत, साहित्य, स्ट्रीट आर्ट, थियेटर और कार्यशालाएं शामिल थीं। महोत्सव की ‘सिल्वर घोड़ा’ थीम इस साल के रजत जयंती के अवसर पर रखी गई है। इस बार 35 से अधिक नाटकों का मंचन किया जा रहा है, जिससे यह महोत्सव थियेटर का महत्वपूर्ण मंच बन गया।
यादगार महोत्सव
इस बार काला घोड़ा कला महोत्सव पहले से कहीं अधिक व्यवस्थित था। प्रवेश ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर था, और ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा थी, लेकिन यह प्रवेश की गारंटी नहीं थी। सभी को वैध पहचानपत्र लाना अनिवार्य था और सुरक्षा के तहत हर स्थान पर तलाशी ली जा रही थी। सभी गतिविधियां कैमरे के दायरे में थीं, जिससे यह महोत्सव 2025 के यादगार कला उत्सवों में से एक बन गया। इ.रि.सें.