राखीगढ़ी से मिली सील पर अंकित लिपि से उठ सकेगा बड़ा रहस्य
सज्जन सैनी/निस
नारनौंद, 30 अप्रैल
राखीगढ़ी में हो रही खुदाई से आठ हजार वर्ष पुरानी हड़प्पा कालीन सभ्यता के रहस्य उजागर हो रहे हैं। टीले पर एक सील मिली है। इस सील पर जो लिपि अंकित है, अगर उसे पढ़ लिया जाता है तो निश्चित तौर पर उस सभ्यता के कई राज खुल सकते हैं। क्योंकि सील खुदाई में पूरी मिली है और उस पर जो लिपि अंकित है वह स्पष्ट दिखाई दे रही है। सील पर एक पशु का चित्र भी उकेरा गया है। वे लोग सील का प्रयोग व्यापारिक गतिविधियों के लिए करते थे।
वैसे तो अलग-अलग सीजन के दौरान दर्जनों सील मिल चुकी हैं, लेकिन काफी सारी सील टूटी हुई पाई गई थीं। अब जो सील मिली है ये शायद उस समय की एक महत्वपूर्ण सील है। खुदाई के दौरान मिली सील, पाटरी, बड़े बर्तन, मिट्टी पर छाप इत्यादि काफी जगह पर उस समय की लिपि लिखी हुई मिली है, लेकिन अब तक उसको पढ़ा नहीं जा सका। इस सील पर लिखी लिपि से विद्वानों की कड़ी जुड़ गई तो बड़ी सफलता मिलेगी और काफी रहस्य से और भी पर्दा उठ सकेगा।
सील का प्रयोग वे लोग व्यापारिक गतिविधियों के लिए करते थे क्योंकि टीलों पर मिले मनके इसका पुख्ता प्रमाण है। क्योंकि यहां पर पत्थर होने का अब तक कोई भी प्रमाण नहीं मिला है। और खुदाई की दौरान यहां पर काफी मनके मिल चुके हैं। यहां पर खेती-बाड़ी बड़े पैमाने पर होती थी और वह लोग इसका भी दूसरी जगह व्यापार करते थे। जिसमें सिल का इस्तेमाल किया जाता होगा।
दो इंच लंबी, 2 इंच चौड़ी
सील को सबसे पहले बड़ी बारीकी से एसीटोन केमिकल से साफ किया जाएगा। यह सील करीब दो इंच लंबी और दो इंच चौड़ी हैं। इसको बनाने के लिए चूना व पत्थर का प्रयोग भी किया गया है। सील पर जो पशु का चित्र है उसके काफी लंबे सींग हैं।
वे लोग सील का प्रयोग व्यापारिक गतिविधियों के लिए करते थे। इसके प्रमाण मिल चुके हैं। जो सील मिली है इस पर लिखी लिपि से विद्वानों को पढ़ने में काफी सहायता मिल सकती है। लेकिन अब तक उस समय की लिपि को कोई भी विद्वान नहीं पढ़ पाया है।
संजय कुमार मंजुल, अपर महानिदेशक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, नयी दिल्ली