8th Wonder Of World : भारत नहीं यहां बना है दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर, दीवारों पर रामायण-महाभारत की निशानियां
चंडीगढ़, 23 दिसंबर (ट्रिन्यू)
कंबोडिया में दुनिया के सबसे फेमस मंदिर परिसरों में से एक अंकोरवाट मंदिर को अब प्रसिद्धि का एक और मौका मिला है। यह अब दुनिया का आठवां अजूबा बन गया है, जिसने इटली के प्रसिद्ध पोम्पेई सहित अन्य प्रमुख दिग्गजों को पीछे छोड़ दिया है।
12वीं शताब्दी में हुई थी अंकोरवाट मंदिर की उत्पत्ति
हिंदू-बौद्ध मंदिर परिसर, अंकोरवाट मंदिर 402 एकड़ में फैला हुआ है और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार यह दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक संरचना भी है। यह बेयोन अंगकोर के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जो रहस्यमयी चेहरे वाले टावरों के कारण प्रसिद्ध हुआ। मंदिर की खोज 19वीं शताब्दी में की गई थी। अंकोरवाट मंदिर की उत्पत्ति 12वीं शताब्दी में हुई थी ।
भगवान विष्णु को समर्पित है...
इसे खमेर साम्राज्य के दौरान राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने बनवाया था। इसे एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था और समय के साथ धीरे-धीरे इसे बौद्ध मंदिर स्थल में बदल दिया गया। यह भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे हिंदू-बौद्ध मंदिर के रूप में पूजा जाता है और यहां के अधिकांश मंदिरों के विपरीत यह पश्चिम दिशा की ओर उन्मुख है।
ब्रह्मांड के केंद्र, माउंट मेरु का करता है प्रतिनिधित्व
ऐसा माना जाता है कि चेहरे हिंदू-बौद्ध देवताओं या राजा जयवर्मन VII के भी हो सकते हैं। यह मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि ये ब्रह्मांड के केंद्र, माउंट मेरु का प्रतिनिधित्व करता है। अंकोरवाट मंदिर में सैकड़ों गोलियों के निशान देखे बिना नहीं रहा जा सकता, जो खमेर रूज और वियतनामी सेना के बीच लड़ाई के अवशेष हैं।
दक्षिणी भाग में समुद्र मंथन की कहानी का चित्रण
अंकोरवाट मंदिर किसी भी दूसरी जगह से अलग है। दक्षिण द्वार पर बनी मूर्तियां यहां का मुख्य आकर्षण हैं, जो हिंदू धर्म की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक समुद्र मंथन पर अधारित है। पूर्वी गैलरी के दक्षिणी भाग में समुद्र मंथन की कहानी का चित्रण है, जिसका उल्लेख भागवत पुराण, विष्णु पुराण, और महाभारत में मिलता है।
इसके अलावा यहां भगवान विष्णु की आठ भुजाओं वाली मूर्ति भी बनी है जो सबसे पवित्र मूर्तियों में से एक है। स्थानीय लोगों का मानना है कि देवता सबसे पूजनीय व्यक्तियों में से एक हैं। यहां के कुछ मंदिरों और मूर्तियों पर राजसी प्राचीन पेड़ों ने कब्जा कर लिया है, लेकिन फिर भी वह देखने में अद्भुत लगती है।