पंजाब में पराली जलाने के मामलों में 71% की गिरावट, हरियाणा में भी सुधार
संजीव सिंह बरियाना/ट्रिन्यू
चंडीगढ़/नयी दिल्ली, 25 नवंबर
दिल्ली-एनसीआर की खराब वायु गुणवत्ता के लिए लंबे समय से पंजाब में पराली जलाना एक प्रमुख कारण माना जाता रहा है। हालांकि, इस साल पंजाब ने पराली जलाने की घटनाओं में 71.37% की कमी लाकर एक बड़ी सफलता हासिल की है। हरियाणा ने भी पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी दर्ज की है, जिससे क्षेत्र में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहतर हुई है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में बताया कि 15 सितंबर से 18 नवंबर के बीच पंजाब में पराली जलाने की केवल 9,655 घटनाएं दर्ज हुईं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 33,719 था। हरियाणा में भी पराली जलाने के मामलों में गिरावट आई है। 2022 में जहां 3,088 घटनाएं हुई थीं, वहीं इस साल यह संख्या घटकर 1,118 रह गई। हालांकि, उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में 66% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो पिछले साल 72 थी और इस साल 192 हो गई।
किसानों और सरकार की कोशिशों का असर
विशेषज्ञों का मानना है कि पंजाब और हरियाणा में पराली प्रबंधन के लिए सरकार की नीतियों और किसानों की भागीदारी ने बड़ा योगदान दिया है। पराली प्रबंधन मशीनों पर सब्सिडी, जागरूकता अभियान और सख्त निगरानी जैसे उपायों ने इन राज्यों में सुधार में मदद की है।
प्रदूषण के अन्य कारण भी जिम्मेदार
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता केवल पराली जलाने तक सीमित नहीं है। इसमें वाहन प्रदूषण, औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल और कचरा जलाना भी बड़े कारण हैं। सर्दियों के मौसम में कम तापमान और स्थिर हवाएं इस समस्या को और बढ़ा देती हैं।
सकारात्मक पहल
पराली जलाने की घटनाओं में बड़ी गिरावट पंजाब और हरियाणा की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। अगर यही रुझान जारी रहा, तो क्षेत्र में वायु गुणवत्ता में और सुधार देखने को मिलेगा। विशेषज्ञ इसे स्थायी समाधान की ओर एक सकारात्मक कदम मानते हैं।