63 साल की कानूनी लड़ाई के बाद मालिक को मिला सिनेमा हॉल
जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, ‘हम सिनेमा हॉल से संबंधित लंबे समय से चल रहे इस मुकदमे का अंत कर रहे हैं। अपील स्वीकार की जाती है और 1999 के रिट मामले में 9 जनवरी, 2013 को हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले और आदेश को रद्द किया जाता है।' अदालत ने प्रतिवादियों को परिसर खाली करने और संबंधित परिसर का ‘शांतिपूर्ण कब्जा' सौंपने के लिए 31 दिसंबर, 2025 तक का समय दिया। कानूनी लड़ाई में मुकदमेबाजी के दो दौर हुए और अंत में दिवंगत मुरलीधर अग्रवाल के कानूनी उत्तराधिकारी अतुल कुमार अग्रवाल ने मुकदमा जीत लिया और परिणामस्वरूप किराएदार दिवंगत महेंद्र प्रताप काकन के कानूनी उत्तराधिकारियों को अब सिनेमा हॉल का कब्जा सौंपना होगा। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2013 के एक फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें संपत्ति मालिक के परिवार की बेदखली याचिका को खारिज कर दिया गया था और अपीलीय प्राधिकारी के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें किराएदार को सिनेमा हॉल पर कब्जा जारी रखने की अनुमति दी गई थी।