5 उच्च अधिकारी राडार पर
संगरूर, 22 जून (निस)
फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र बनाकर नौकरी पाने और प्रमोशन पाने के मामले में सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है। फिलहाल राज्य के राजस्व, पंचायत और स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारी रडार पर हैं। पांच राजपत्रित अधिकारी हैं जिनके खिलाफ जांच का निर्देश दिया गया है। 3 नायब-तहसीलदार, एक खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी और एक कार्यकारी अधिकारी हैं। इनमें से एक पूर्व वित्त मंत्री के ओएसडी का नाम भी शामिल है। दिव्यांगों की शिकायत पर कार्रवाई की जा रही है।
प्रदेश में लंबे समय से नौकरी और प्रमोशन पाने के लिए डॉक्टरों की मिलीभगत से श्रवण बाधित, नेत्र रोग या मामूली दिव्यांगता दिखाकर प्रमाणपत्र बनवाए जा रहे हैं। हालांकि ऐसे मामलों की संख्या कुछ हज़ार बताई जाती है। दो दिन पहले पंजाब सरकार के सामाजिक सुरक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग चंडीगढ़ के डायरेक्टर ने ग्रामीण विकास एवं पंचायत, डिप्टी कमिश्नर मंड और चेयरमैन इंप्रूवमेंट ट्रस्ट बरनाला को पत्र भेजकर शिकायत पत्र पर नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिये थे।
इन अधिकारियों का दिया ब्योरा
पत्र में जिन पांच अधिकारियों का ब्योरा दिया गया है, उनमें राजस्व विभाग के तीन नायब तहसीलदार शामिल हैं, एक नायब तहसीलदार बठिंडा जिले में थे, लेकिन मामला सामने आते ही रिटायर हो गए। दूसरा नायब तहसीलदार भी जिला बठिंडा के एक कस्बे में है।इ सकी जांच के लिए डॉक्टरों की दो टीमें गठित की गईं लेकिन नायब तहसीलदार बोर्ड के सामने पेश नहीं हुए। जबकि तीसरा नायब तहसीलदार मानसा जिले के एक कस्बे में है। बोर्ड के समक्ष उनकी जांच भी की गई, जिसमें उनके पैर में मामूली खराबी ही पाई गई। आरोप के मुताबिक डॉक्टरों की मिलीभगत से दिव्यांगता ज्यादा दिखाई गई। शिकायत में पिछली सरकार के दौरान पूर्व वित्त मंत्री का ओएसडी का नाम भी शामिल है, जो बरनाला जिले में है। पांचवां अधिकारी बरनाला जिले में एक इंजीनियर है, जिसने बहरेपन के आधार पर विकलांगता प्रमाण पत्र बनाया था लेकिन मेडिकल जांच में वह 1% भी बहरा नहीं पाया गया।