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4 साल से हो रहा पत्राचार, शौर्य चक्र विजेता जिले सिंह को अनुग्रह राशि का इंतजार !

05:18 AM Dec 30, 2024 IST
4 साल से हो रहा पत्राचार  शौर्य चक्र विजेता जिले सिंह को अनुग्रह राशि का इंतजार
जिले सिंह
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गुरुग्राम, 29 दिसंबर (हप्र)
पटौदी खंड के गांव बोहड़ाकलां चैनपुरा के मूल निवासी सीआरपीएफ में सहायक कमांडेंट शौर्य चक्र विजेता जिले सिंह को सरकार द्वारा घोषित अनुग्रह राशि का इंतजार है। पिछले चार वर्ष से उनके द्वारा बकाया अनुग्रह राशि के लिए पत्राचार किया जा रहा है। सरकार और विभिन्न संबंधित विभागों द्वारा संज्ञान नहीं लिया
जा रहा।
अब से पहले हरियाणा सरकार द्वारा शौर्य चक्र विजेता को 31 लाख रुपए अनुग्रह राशि देने का प्रावधान था। अब हरियाणा सरकार द्वारा शहीदों की अनुग्रह राशि बढ़ाई जाने का स्वागत किया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना और सीआरपीएफ के शहीदों को अनुग्रह राशि 50 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए किया जाना सराहनीय है। लेकिन जवानों को सरकार द्वारा पूरा हक दिया जाना चाहिए। उन्हें हरियाणा सरकार द्वारा अनुग्रह राशि में से 700000 ही अनुग्रह राशि देकर बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया। शौर्य चक्र विजेता को कृषि भूमि, फ्लैट या फिर प्लाट देने का भी प्रावधान है। राष्ट्रीय राजमार्ग, सरकारी भवन, किसी सरकारी स्कूल अथवा अस्पताल का नामकरण भी शौर्य चक्र विजेता के नाम पर किया जाने का प्रावधान किया गया है। सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट जिले सिंह प्रदेश के एकमात्र सुरक्षा बल के सुरक्षाकर्मी हैं, जिनको शौर्य चक्र प्राप्त होने का गौरव प्राप्त है।

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जैश-ए-मोहम्मद के तीन खतरनाक आतंकी मारे थे

89-बटालियन सीआरपीएफ में अपनी सेवाएं दे रहे सहायक कमांडेंट जिले सिंह ने जैश-ए-मोहम्मद के तीन खतरनाक आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा था। यह ऑपरेशन 30 और 31 दिसंबर के बीच 2017 में अंजाम दिया गया। उस समय जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों द्वारा जम्मू कश्मीर में लेथपुरा सीआरपीएफ के कैंप परिसर में अचानक आतंकी हमला बोल दिया गया। आतंकवादियों ने कैंप में घुसकर तीन निहत्थे सीआरपीएफ जवानों सहित 12 जवानों को अपने कब्जे में कर लिया। कमांडो ट्रेनिंग प्राप्त सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट जिले सिंह को अवंतीपुरा जम्मू कश्मीर कवेट के कमांडर के तौर पर आतंकी हमले को नाकाम करने के आदेश प्राप्त हुए। कई घंटे तक चले इस ऑपरेशन में जिले सिंह द्वारा तीनों आतंकवादियों को मौत के घाट उतारते हुए सीआरपीएफ के अपने सभी 12 जवानों को सुरक्षित बचा लिया गया। इस जांबाज की उपलब्धि को केंद्र में रखकर 26 जनवरी 2019 को उन्हें शौर्य चक्र दिया जाने की घोषणा की गई। 19 मार्च, 2019 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।

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