यूटी के कॉलेजों में ऑनलाइन दाखिले में आवेदकों से 'लूट'
चंडीगढ़, 18 अगस्त (ट्रिन्यू)
यूटी चंडीगढ़ में सरकारी और निजी सहायता प्राप्त कॉलेजों में दाखिलों के लिये ऑनलाइन पंजीकरण शुल्क भुगतान के मामले में उच्चतर शिक्षा विभाग (डीएचई) द्वारा कथछात्रों को लूटने की रणनीति उजागर हुई है। आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करने के लिए पहले 70 रुपये का भुगतान करके पंजीकरण कराना होता है। बैंक खाते और ओटीपी से राशि की कटौती की प्रक्रिया पूरी करने के बाद, वेबसाइट पर एक संदेश आता है, जिसमें लिखा होता है- ‘आप जो जानकारी जमा करने जा रहे हैं वह सुरक्षित नहीं है। चूंकि यह फ़ॉर्म ऐसे कनेक्शन का उपयोग करके सब्मिट किया जा रहा है जो सुरक्षित नहीं है, आपकी जानकारी दूसरों को दिखाई देगी।’ इसके बाद प्रदर्शित होता है : गो बैक (वापस जाएं) या सेंड एनिवे (भुगतान करें)। सॉफ्टवेयर ऐसे डिजाइन किया गया है कि पंजीकरण शुल्क काटा ही जाता है, चाहे आप कोई भी विकल्प चुनें। कोई भी बटन जितनी बार दबाया जाए, राशि उतनी बार आवेदक के बैंक अकाउंट से काट ली जाएगी, जबकि पंजीकरण शुल्क की एक बार कटौती के बाद यह कटौती दोबारा नहीं होनी चाहिए। डीएचई वेबसाइट आश्वासन देती है कि ऑनलाइन भुगतान से संबंधित किसी भी समस्या के मामले में, निवारण के लिए प्रश्न ईमेल पर भेजे जाएं। इसके विपरीत वास्तविकता यह है कि जब अवैध और गलत तरीके से काटी गई अधिक राशि की वापसी के लिए शिकायतें ईमेल की जाती हैं, तो उत्तर आता है : ‘पंजीकरण शुल्क गैर-वापसी योग्य है’।
दाखिलों में व्यस्त छात्र समय और संसाधनों की कमी के चलते इस ‘लूट’ को एक छोटा सा नुकसान मानते हुए इसे छोड़ देते हैं। छात्रों की लाचारी का फायदा उठाकर इस तरह से पैसा इकट्ठा करना शिक्षण संस्थानों के लिए दिन-ब-दिन एक व्यवसाय बनता जा रहा है। आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. राजिंदर के सिंगला ने अब डीएचई कार्यालय से आरटीआई अधिनियम के तहत मांग की है कि प्रवेश चाहने वालों के बैंक खातों से इस तरह के अवैध रूप से कितना पैसा काटा गया है, और पंजीकरण शुल्क से अधिक राशि लूटने की इस धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारी कौन हैं, बताया जाए? सिंगला ने जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए यूजीसी और एमएचआरडी के अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय को शिकायत भेजी है।