विवेक शर्मा/ट्रिन्यूचंडीगढ़, 9 जूनअस्पताल की भीड़, गाइडेंस की कमी और बढ़ती अव्यवस्था के बीच पीजीआई चंडीगढ़ की एक छोटी सी पहल देशभर में नयी दिशा दिखा रही है। 5 मई 2024 को शुरू हुआ ‘प्रोजेक्ट सारथी’ अब केवल मरीजों को रास्ता दिखाने का कार्य नहीं रहा, यह एक राष्ट्रीय सेवा आंदोलन बन गया है।34 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के 1467 अस्पतालों में अब 6444 छात्र स्वयंसेवक मरीजों की मदद कर रहे हैं। ये युवा न सिर्फ मार्गदर्शक हैं, बल्कि पीड़ा के क्षणों में संवेदनशील साथी भी बनते हैं।इस पहल को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और युवा मामले एवं खेल मंत्रालय का संयुक्त समर्थन प्राप्त है। यह ‘सेवा से सीखें’ कार्यक्रम के तहत संचालित हो रही है, जिसका मॉडल पीजीआई के अनुभव पर आधारित है।हर मरीज को सिर्फ इलाज नहीं, समझदारी से भरा सहारा चाहिए : प्रो. विवेक लालपीजीआई के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने बताया कि प्रोजेक्ट सारथी का मकसद सिर्फ नेविगेशन नहीं, बल्कि मरीज और उनके परिजनों को यह महसूस कराना है कि वे इस तंत्र में अकेले नहीं हैं। यह छात्रों के लिए सेवा, करुणा और सामाजिक जिम्मेदारी को जीवन में उतारने का सशक्त माध्यम है।आइडिया से आंदोलन तक : पंकज रायपरियोजना की नींव रखने वाले पीजीआई के डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासन) पंकज राय ने बताया कि विदेश यात्रा के दौरान उन्हें अस्पतालों में वालंटियर नेविगेशन का विचार आया, जिसे उन्होंने पीजीआई में लागू किया। अब यह मॉडल पूरे देश में फैल चुका है। सिर्फ पीजीआई में ही 816 छात्रों ने 50340 सेवा घंटे दिए, जिससे मरीजों की औसत प्रतीक्षा समय 4.2 घंटे से घटकर 2.8 घंटे हो गया। संतोषजनक अनुभव देने के साथ-साथ अस्पताल स्टाफ का दबाव भी कम हुआ।***646 अस्पतालों में लागू, 821 में प्रक्रिया जारी551 अस्पतालों में ईएलपी कार्यक्रम पूरी तरह लागू हो चुका है, जबकि 95 अस्पतालों में कार्य प्रगति पर है। इसके अतिरिक्त 821 अस्पतालों में इसे जल्द लागू किया जाएगा। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में इसकी विशेष सफलता दर्ज की गई है।