32 साल पुराने फर्जी एनकाउंटर में तत्कालीन थानेदार, एसआई को उम्र कैद
>मोहाली,4 फरवरी (हप्र)
वर्ष 1992 के 32 साल पुराने एक फर्जी एनकाउंटर मामले में तत्कालीन थानेदार मजीठा पुरुषोतम सिंह व एसआई गुरभिंदर सिंह को सीबीआई कोर्ट ने हत्या की धारा 302 में उम्र कैद व दो-दो लाख जुर्माना और धारा 218 में दो-दो साल कैद व 25-25 हजार जुर्माने की सजा सुनाई है। एडवोकेट गुरप्रताप सिंह ने बताया कि डीएसपी एसएस सिद्धू (रिटायर्ड एसएसपी) और इंस्पेक्टर चमन लाल (रिटायर्ड एसपी) को सूबतों की कमी के चलते अदालत ने बरी कर दिया है। एडवोकेट ने अदालत को बताया कि जब एनकाउंटर हुआ तब चमन लाल सीआईए अमृतसर में इंस्पेक्टर थे और एसएस सिद्धू डीएसपी जिनका इस एनकाउंटर से कोई लेना-देना नहीं था। मजीठा थाना पुलिस ने इस एनकाउंटर को अंजाम दिया था जिसमें सीआईए का कोई रोल नहीं था। दोषियों पर लखविंदर सिंह लक्खा उर्फ फोर्ड व फौजी बलदेव सिंह देबा निवासी भैणी बासकरे जिला अमृतसर की हत्या करने व साजिश रचने के आरोप थे। फौजी बलदेव सिंह की जब हत्या हुई उस समय वह फौज से छुट्टी पर आया हुआ था, जबकि लखविंदर सिंह खेतीबाड़ी का काम करता था। पीड़ित परिवार ने कहा कि 32 साल बाद उन्हें न्याय मिला है।
आज सीबीआई कोर्ट में फैसले के दौरान फौजी बलदेव सिंह की बहन जसविंदर कौर और मृतक लखविंदर सिंह का भाई स्वर्ण सिंह आए हुए थे। पीड़ित परिवार ने कहा कि अदालत के फैसले से वह खुश हैं लेकिन जो बरी हुए हैं, उन्हें भी सजा मिलनी चाहिए थी। वह हाईकोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। जसविंदर कौर ने कहा कि फौज से छुट्टी पर आए मेरे भाई को कोठे से उठाकर ले गए, उन्हें कहा कि बलदेव से किसी के घर की पहचान करवाने के बाद आधे घंटे में छोड़ देंगे। बहन बोली 32 साल हो गए बलदेव घर लौटकर नहीं आया। उन्हें तो लाश भी देखने को नसीब नहीं हुई। बहन जसविंदर बोली जिस तरह भाई का चेहरा देखने के लिए वह तरस रहे हैं, उसी तरह उनका परिवार भी इन्हें देखने को तरसे। सलाखों के पीछे ही उनकी मौत हो।
30 अगस्त 1999 को सीबीआई ने एसएस सिद्धू, हरभजन सिंह, मोहिंदर सिंह, पुरुषोत्तम लाल, चमन लाल, गुरभिंदर सिंह, मोहन सिंह, पुरुषोत्तम सिंह और जस्सा सिंह के खिलाफ अपहरण, आपराधिक साजिश, हत्या, झूठे रिकॉर्ड तैयार करने के लिए चार्जशीट दायर की। लेकिन गवाहों के बयान 2022 के बाद दर्ज किए गए, क्योंकि इस अवधि के दौरान उच्च न्यायालयों के आदेशों पर मामला स्थगित रहा।
पीड़ित परिवार के वकील सरबजीत सिंह वेरका ने कहा कि हालांकि सीबीआई ने इस मामले में 37 गवाहों का हवाला दिया था, लेकिन मुकदमे के दौरान केवल 19 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं क्योंकि सीबीआई द्वारा उद्धृत अधिकांश गवाहों की देरी से सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी। इस विलंबित मुकदमे के दौरान आरोपी हरभजन सिंह, मोहिंदर सिंह, पुरुषोत्तम लाल, मोहन सिंह और जस्सा सिंह की मृत्यु हो गई थी और आरोपी एसएस सिद्धू तत्कालीन डीएसपी अमृतसर, चमन लाल तत्कालीन सीआईए इंचार्ज अमृतसर, गुरभिंदर सिंह तत्कालीन एसएचओ पीएस मजीठा और एएसआई पुरुषोत्तम सिंह ने इस मामले में मुकद्दमे का सामना किया।