32 साल पुराने फर्जी एनकाउंटर मामले में तत्कालीन थानेदार व एसआई दोषी करार
मोहाली, 31 जनवरी (हप्र )
32 साल पुराने वर्ष 1992 के एक फर्जी एनकाउंटर मामले की सुनवाई सीबीआई की विशेष अदालत में हुई। अदालत ने आज बचाव पक्ष व सरकारी वकील की दलीलें सुनने के बाद तत्कालीन थानेदार मजीठा पुरुषोतम सिंह व एसआई गुरभिंदर सिंह को दोषी करार दिया है जबकि डीएसपी एसएस सिद्धू (रिटायर्ड एसएसपी)और इंस्पेक्टर चमन लाल (रिटायर्ड एसपी) को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। दोषियों पर लखविंदर सिंह लक्खा उर्फ फोर्ड व फौजी बलदेव सिंह देबा निवासी भैणी बासकरे जिला अमृतसर की हत्या करने व साजिश रचने के आरोप थे। आरोपियों को 4 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी। फौजी बलदेव सिंह की जब हत्या हुई उस समय वह फौज से छुट्टी पर आया हुआ था, जबकि लखविंदर सिंह खेतीबाड़ी का काम करता था। पीड़ित परिवार ने कहा कि 32 साल बाद उन्हें न्याय मिला है।
बचाव पक्ष के वकील ने अदालत में दावा किया था कि उक्त दोनों कट्टर आतंकवादी थे, जिनके सिर पर ईनाम था। वह हत्या, जबरन वसूली, डकैती जैसे सैकड़ों मामलों में वांछित थे। अदालत को बताया कि वह हरभजन सिंह उर्फ शिंदी (पंजाब की बेअंत सिंह सरकार में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री गुरमेज सिंह के बेटे) की हत्या में भी शामिल थे।
30 अगस्त 1999 को सीबीआई ने एसएस सिद्धू, हरभजन सिंह, मोहिंदर सिंह, पुरुषोत्तम लाल, चमन लाल, गुरभिंदर सिंह, मोहन सिंह, पुरुषोत्तम सिंह और जस्सा सिंह के खिलाफ अपहरण, आपराधिक साजिश, हत्या, झूठे रिकॉर्ड तैयार करने के लिए चार्जशीट दायर की। लेकिन गवाहों के बयान 2022 के बाद दर्ज किए गए, क्योंकि इस अवधि के दौरान उच्च न्यायालयों के आदेशों पर मामला स्थगित रहा। पीड़ित परिवार के वकील सरबजीत सिंह वेरका ने कहा कि हालांकि सीबीआई ने इस मामले में 37 गवाहों का हवाला दिया था, लेकिन मुकदमे के दौरान केवल 19 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं क्योंकि सीबीआई द्वारा उद्धृत अधिकांश गवाहों की देरी से सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी। इस विलंबित मुकदमें के दौरान आरोपित हरभजन सिंह, मोहिंदर सिंह, पुरुषोत्तम लाल, मोहन सिंह और जस्सा सिंह की मृत्यु हो गई थी और आरोपित एसएस सिद्धू तत्कालीन डीएसपी अमृतसर, चमन लाल तत्कालीन सीआईए इंचार्ज अमृतसर, गुरभिंदर सिंह तत्कालीन एसएचओ पीएस मजीठा और एएसआई पुरुषोत्तम सिंह ने इस मामले में मुकद्दमे का सामना किया।
अमृतसर जिले के भैणी बासकरे का फौजी जवान बलदेव सिंह देवा छुट्टी आया हुआ था। पुलिस ने उसे कट्टर आतंकवादी ऐलान कर अपनी अवैध हिरासत में ले लिया था। इसके बाद झूठा पुलिस मुकाबला दिखाकर उसकी हत्या कर दी थी। दूसरा मामला 16 साल के नाबालिग लखिवदंर सिंह की हत्या से जुड़ा हुआ था। उसे भी कट्टर आतंकवादी बताकर घर से उठाकर उसकी हत्या कर दी थी।