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कच्चे कर्मचारियों में 28 प्रतिशत कर्मी अनुसूचित जाति वर्ग से

09:01 AM Nov 19, 2024 IST

ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 18 नवंबर
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने सोमवार को कच्चे कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित करने के लिए लाए गए हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी (सेवा की सुनिश्चितता) विधेयक में आरक्षण का प्रावधान नहीं होने पर सवाल उठा रहे विपक्ष को आंकड़ों के साथ आईना दिखाया। उन्होंने बताया कि कच्चे कर्मचारियों में 28 प्रतिशत कर्मचारी अनुसूचित जाति और 32 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग के हैं।
हरियाणा कौशल रोजगार निगम (एचकेआरएन) में 37 हजार 404 कर्मचारी अनुसूचित जाति और 41 हजार 376 कर्मचारी पिछड़ा वर्ग से हैं।
सोमवार को सात विधेयक पारित किए गए, जबकि पांच विधेयक मंगलवार को पारित किए जाएंगे। विधेयकों पर चर्चा के चलते विधानसभा की कार्यवाही रात साढ़े आठ बजे तक बढ़ानी पड़ी। इससे पहले बृहस्पतिवार को भी सदन रात पौने नौ बजे तक बैठा था।
मंगलवार को शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन सुबह 11 बजे कार्यवाही शुरू होगी। कच्चे कर्मचारियों की नौकरी 58 साल की आयु तक सुरक्षित करने का बिल पारित कराते हुए मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि एक लाख 20 हजार युवाओं से हमने जो वादा किया था, आज वह पूरा हो रहा है।
वादे के तहत कच्चे कर्मचारियों को नौकरी की सुरक्षा दे रहे हैं। 50 हजार रुपये से अधिक मासिक आय वाले कर्मचारियों के लिए भी बिल लाकर उनको सेवा की सुरक्षा देंगे। विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा को लेकर भी चर्चा की जा रही है। जल्द ही सकारात्मक परिणाम सरकार निकालेगी। नायब सैनी ने कहा कि एक अप्रैल 2022 को एचकेआरएन लागू किया।
पहले ठेकेदारों के जरिये युवाओं को सिर्फ तीन हजार से लेकर पांच हजार रुपये मिलते थे। हमारी सरकार ने कर्मचारियों को 14 हजार रुपये न्यूनतम वेतन सुनिश्चित किया है। कच्चे कर्मचारियों की नियुक्ति में पारदर्शिता के लिए परिवार की आय, आवेदक की उम्र और कौशल योग्यता के आधार पर अंक निर्धारित किए।

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जहां अंधेरा है, वहां दीया जलाना कब मना है...

सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि जहां अंधेरा है, वहां दीया जलाना कब मना है। तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उन्हीं घर में दीये का प्रकाश दिया। विपक्ष ने कहा कि सरकार में आए तो एचकेआरएन बंद कर देंगे। जनता ने उनको परिणाम दे दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दो लाख नौकरियां इनसे अलग हैं। वो नौकरी भी हम बिना पर्ची - बिना खर्ची के देंगे। पहले ठेकेदार के जरिये लगने पर युवा के भविष्य पर तलवार लटकी रहती थी। ठेकेदार बदलने पर भी भविष्य का खतरा पैदा हो जाता था। अब ऐसा नहीं होगा। पहले चौकीदार को 500 रुपये दिए जाते थे। उनकी स्थिति को भी हमारी सरकार ने सुधारा। भगत फूल सिंह विश्वविद्यालय के मामले में जांच चल रही है। किसी भी दोषी को इनमें बख्शा नहीं जाएगा।

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