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2289 बूथ असुरक्षित, केंद्र से मांगी 200 कंपनियां

10:53 AM Mar 18, 2024 IST
2289 बूथ असुरक्षित  केंद्र से मांगी 200 कंपनियां
चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल।
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चंडीगढ़, 17 मार्च (ट्रिन्यू)
हरियाणा निर्वाचन आयोग लोकसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही पूरी तरह सक्रिय हो गया है। अब पूरे प्रदेश में चुनाव आयोग की मोर्चाबंदी रहेगी। निष्पक्ष एवं हिंसा रहित चुनाव करवाने के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों की 200 कंपनियों की प्रदेश में जरूरत समझी जा रही है। डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने इस संबंध में सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक और उनसे लिए फीडबैक के बाद मुख्य सचिव व होम सेक्रेटरी टीवीएसएन प्रसाद को प्रपोजल बनाकर भेज दिया है। अगले सप्ताह होम सेक्रेटरी की ओर से इस प्रपोजल को अंतिम रूप देकर हरियाणा निर्वाचन चुनाव आयोग को भेजा जाएगा। आयोग ने सिक्योरिटी प्रबंधन के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया हुआ है। यह कमेटी सरकार की प्रपोजल का अध्ययन करने के बाद सुरक्षा बलों की डिमांड केंद्रीय चुनाव आयोग को भेजेगी जोकि इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजेगा। यहां बता दें कि केंद्र की ओर से अभी तक हरियाणा को पंद्रह कंपनियां मिल चुकी हैं। इनमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की 10 तथा बीएसएफ और आईटीबीपी की पांच कंपनियां शामिल हैं। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनावों में हरियाणा की ओर से 200 से अधिक कंपनियों की डिमांड की गई थी। उस समय अधिक कंपनियां इसलिए मांगी गई थी, क्योंकि 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन में हुई हिंसा के बाद यह बड़ा चुनाव था। ऐसे में सुरक्षा प्रबंधन पर विशेष जोर था।
उन चुनावों में केंद्र ने हरियाणा को 95 कंपनियों की मदद दी थी। इस बीच, हरियाणा पुलिस में 6500 के लगभग पुलिस जवानों की और भर्ती की जा चुकी है। राज्य चुनाव आयोग ने प्रदेशभर में 2289 मतदान केंद्रों को ‘असुरक्षित’ कैटेगरी में रखा है। वहीं 63 बूथों को अत्यंत गंभीर कैटेगरी में शामिल किया है। असुरक्षित बूथ आयोग उन्हें मानता है, जहां पूर्व में हिंसा की घटनाएं हो चुकी हैं। जिन बूथों पर मतदान प्रतिशत 90 प्रतिशत से अधिक है, ऐसे बूथों को भी असुरक्षित माना जाता है। आयोग ने पुरानी स्टडी के हिसाब से यह निर्णय लिया है। 90 प्रतिशत से अधिक वोटिंग वाले बूथों में उन्हें असुरक्षित कैटेगरी में रखा जाता है, जिनमें 75 प्रतिशत तक मतदान एक ही पार्टी के पक्ष में हुआ हो। मतदान प्रतिशत 10 प्रतिशत से कम होने वाले बूथों को भी असुरक्षित माना जाता है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल ने रविवार को यहां मीडिया से बातचीत में कहा कि ऐसे बूथों पर सुरक्षा के अतिरिक्त प्रबंध किए जाएंगे।

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6 मई तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे उम्मीदवार

मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल के अनुसार, प्रदेश में चुनावों का नोटिफिकेशन 29 अप्रैल को जारी होगा। इसी दिन से नामांकन-पत्र प्रक्रिया शुरू होगी। 6 मई तक नामांकन-पत्र दाखिल हो सकेंगे और 7 मई को नामांकन-पत्रों की छंटनी होगी। 9 मई को नामांकन-पत्र वापसी की आखिरी तारीख तय है। 25 मई को हरियाणा में दस सीटों के लिए चुनाव करवाया जाएगा और 4 जून को पूरे देश में हुए चुनावों की मतगणना होगी।

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39624 ईवीएम का इंतजाम

लोकसभा की दस सीटों – अम्बाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, सिरसा, हिसार, भिवानी-महेंद्रगढ़, सोनीपत, रोहतक, गुरुग्राम व फरीदाबाद के लिए चुनाव आयोग ने 39 हजार 624 ईवीएम का प्रबंध किया है। ईवीएम को जिलों में कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी का कहना है कि आयोग के पास 10 से 15 प्रतिशत ईवीएम रिजर्व रहती हैं ताकि किसी भी तरह की तकनीकी खराबी आने पर उन्हें बदला जा सके।

95 लाख तक खर्च सकेंगे

लोकसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी अधिकतम 95 लाख रुपये तक का खर्चा चुनाव प्रचार पर कर सकेंगे। इसमें प्रचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री, गाड़ी, दफ्तर खर्चा व अन्य व्यय शामिल हैं। प्रत्याशियों को खर्चे का पूरा ब्यौरा रखना होगा और चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के एक माह के भीतर आयोग को लिखित में रिपोर्ट देनी होगी। चुनावी खर्च के लिए अलग से बैंक खाता खुलेगा और उसी के जरिये खर्चा किया जाएगा।

क्रिमिनल बैकग्राउंड के प्रत्याशी उतारे तो जनता को बताना होगा

लोकसभा चुनावों में प्रत्याशी बनाए गए व्यक्ति का अगर क्रिमिनल बैकग्राउंड है तो उसके बारे में बताना होगा। चुनाव लड़ने वाले पर चल रहे मुकदमे के बारे में अखबारों व न्यूज चैनल पर कम से कम तीन बार विज्ञापन देकर बताना अनिवार्य है। इतना ही नहीं, राजनीतिक दलों को आयोग को लिखित में क्राइम बैकग्राउंड के ही प्रत्याशी को उतारे जाने के पीछे कारण बताने होंगे। यह बताना होगा कि क्या संबंधित पार्टी को दूसरा कोई उम्मीदवार नहीं मिला। हालांकि अब काननू काफी सख्त हो चुका है। अगर किसी व्यक्ति को क्रिमिनल केस में दो साल से अधिक की सजा हुई है तो उसके चुनाव लड़ने पर रोक है। केवल केस दर्ज होने और कोर्ट में केस लंबित होने के मामलों में इस तरह की रोक नहीं है। कोर्ट ने अगर सजा पर रोक लगाई हुई है, तो ऐसे मामलों में भी चुनाव लड़ने पर बाध्यता नहीं है। चुनावों का ऐलान करते हुए चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के अगर किसी प्रकार के केस चल रहे हैं तो उन्हें इसका ब्यौरा देना होगा। नामांकन-पत्र जमा करवाते समय शपथ-पत्र देकर केस के बारे में बताना होगा। साथ ही, आम लोगों को भी इसके बारे में पता लग सके, इसके लिए अखबारों व न्यूज चैनलों में विज्ञापन देकर बताना होगा। अब आयोग ने इसमें यह प्रावधान भी कर दिया है कि राजनीतिक दलों को भी आयोग को इसके कारण बताने होंगे। यह बताना होगा कि संबंधित पार्टी को कोई दूसरा व्यक्ति नहीं मिला। किस वजह से क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले व्यक्ति को चुनाव लड़वाना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर, चुनावों में हिंसा रोकने के लिए भी इस बार पुख्ता प्रबंध किए जाएंगे। केंद्रीस सशस्त्र पुलिस बलों के जवानों के अलावा आईटीबीपी और बीएसएफ के जवानों की चुनावों में ड्यूटी लगेगी। हरियाणा पुलिस के जवान भी सुरक्षा की दृष्टि से तैनात रहेंगे। संवेदनशील और अति-संवेदनशील बूथों पर अतिरिक्त पुलिस फोर्स का बंदोबस्त किया जाएगा। इसके लिए आयोग डीजीपी के अलावा सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों के साथ बैठकें कर चुका है।

हिंसा हुई तो एसपी होंगे जवाबदेह चुनाव आयोग ने इस बार जिले के अधिकारियों की जिम्मेदारी बढ़ा दी है। चुनाव प्रचार, मतदान या मतगणना के दौरान अगर किसी भी तरह की हिंसा होती है तो इसके लिए संबंधित पुलिस आयुक्त और पुलिस अधीक्षक की जवाबदेही तय होगी। निचले स्तर के पुलिस कर्मचारियों व अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने से काम नहीं चलेगा। भारत के चुनाव आयोग ने इस संदर्भ में सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को भी हिदायतें जारी कर दी हैं।

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