स्वास्थ्य विभाग के रेपिड फीवर सर्वे में मिले 2139 मरीज
अरविंद शर्मा / निस
जगाधरी, 16 जून
गर्मियां शुरू होते ही मलेरिया व डेंगू का खतरा भी बढ़ने लग जाता है। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग भी पूरी तरह से सजग हो गया है। स्वास्थ्य विभाग रैपिड फीवर सर्वे कर बुखार के संदिग्ध मरीजों की पहचान कर रहा है। यह सर्वे प्रत्येक माह एक से लेकर 10 तारीख तक होता है। जानकारी के अनुसार जून माह में रेपिड फीवर सर्वे पूरा हो चुका है। टीमों ने जिले में 197112 घरों में विजिट कर जांच की है। जानकारी के अनुसार सर्वे के दौरान जांच में 2139 मरीज बुखार के मिले हैं। इन बुखार के मरीजों के सैंपल लेकर जांच के लिए भिजवाए गए हैं। यदि इन मरीजों में से कोई डेंगू या मलेरिया से ग्रसित मिलता है तो उसका इलाज शुरू किया जाएगा। साथ ही उसे एरिया में फागिंग सहित अन्य गतिविधि कराई जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग की डीएमओ डा. सुशीला सैनी ने बताया कि रैपिड फीवर सर्वे हर माह दस दिन तक चलता है। इसमें टीमें घर-घर जाकर जांच कर रही है। यह टीमें हर घर में बुखार, जुकाम व खांसी के मरीजों के बारे में जानकारी ले रही हैं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से रैपिड फीवर सर्वे के लिए आशा व एएनएम वर्करों को लगाया गया है। जिले में लगभग 900 आशा वर्कर हैं। यह वर्कर गांवों में बुखार के मरीजों की पहचान रैपिड फीवर सर्वे के तहत करती हैं। जिन मरीजों को लंबे समय से बुखार रहता है, उनके सैंपल भी लिए जाते हैं। इसके साथ ही लोगों के घरों में जमा पानी में लारवा की जांच की जाती है।
डा. सैनी ने अनुसार मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना, शरीर पर पड़ने वाले लाल निशान, तेज बुखार होना, तेज सिर दर्द, आंखों में दर्द होना, उल्टी आना और चक्कर महसूस होना। यदि इनमें से कोई भी लक्षण महसूस करते हैं तो तुरंत सलाह के लिए डाक्टर के पास जाना चाहिए। उनका कहना है कि इन लक्षणों को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है।
डा. सुशीला सैनी ने बताया कि बुखार के मरीजों के सैंपल लेकर लैब में जांच के लिए भिजवाए गए हैं। यदि इनमें से किसी मरीज में डेंगू, मलेरिया या चिकनगुनिया के लक्षण मिलते हैं तो उनका इलाज शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि उनके स्वजनों के भी सैंपल लिए जाएंगे। डा. सैनी ने लोगों से खान-पान व स्वच्छता को लेकर सजग रहने की अपील की है। उनका कहना है कि बरसात के मौसम में बहुत ज्यादा सगजता बरतने की जरूरत होती है।