6.41 लाख मीट्रिक टन दालों की खरीद से 2.75 लाख किसान लाभान्वित
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना के तहत रबी 2023-24 सीजन के दौरान, 2.75 लाख किसानों से 4,820 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य पर 6.41 लाख मिट्रिक टन (एलएमटी) दलहन की खरीद की गई। यह जानकारी कृषि एवं कल्याण मंत्रालय ने साझा की है।
इसके मुताबिक चालू खरीफ सीजन की शुरुआत में सोयाबीन के बाजार भाव एमएसपी से काफी नीचे चल रहे थे, जिससे किसानों को काफी परेशानी हो रही थी। पीएसएस योजना (पीएम आशा का घटक) के तहत भारत सरकार के हस्तक्षेप से सरकार ने (11 दिसंबर, 2024 तक) 2,700 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य पर 5.62 एलएमटी सोयाबीन की खरीद की है और इससे 2,42,461 किसानों को लाभ पहुंचा। यह अब तक की गई सोयाबीन की सबसे बड़ी खरीद है।
कहा गया कि पीएम आशा छोटे और सीमांत किसानों के लिए सुरक्षा तंत्र प्रदान करती है जो बाजार में उतार-चढ़ाव के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं। यह फसल के बाद के नुकसान को कम करता है और किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करता है, जिससे उनकी आमदनी में सीधे वृद्धि होती है। चूंकि किसान अपनी फसल के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करते हैं, इसलिए इससे ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास होता है। किसानों को मूल्य समर्थन या कम भुगतान तंत्र के कारण फसल के समय कम बाजार मूल्य पर फसल बेचने की मजबूरी का सामना नहीं करना पड़ता है। कहा गया कि पीएम आशा देश के करोड़ों छोटे और सीमांत किसानों के लिए आशा की किरण बनकर उभरी है। सुनिश्चित आय प्रदान करने वाली और बाजार मूल्यों में स्थिरता लाकर ये योजना न केवल एक कल्याणकारी उपाय है, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक कदम है। यह छोटे और सीमांत किसानों को बाजार में होने वाले कीमतों के उतार-चढ़ाव और कृषि उपज के मूल्य का बड़ा हिस्सा अपने नाम करने वाले बिचौलियों की अनिश्चितताओं से भी बचाती है।
राज्य एजेंसियों से होता है समन्वय
सरकार किसानों के आर्थिक विकास और समावेशी विकास के लिए पीएम आशा योजना को प्रभावी ढंग से लागू करना सुनिश्चित करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित केंद्रों पर किसानों की कृषि उपज की खरीद के लिए राज्य स्तरीय एजेंसियों के साथ नैफेड और एनसीसीएफ जैसी केंद्रीय नोडल एजेंसियों को जोड़ने के लिए राज्य सरकारों के समन्वय में बाजार में सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करती है। बताया गया कि पीएम आशा का एक अन्य महत्वपूर्ण और परिवर्तनकारी घटक, बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) है, इसका उद्देश्य टमाटर, प्याज और आलू आदि जैसी खराब होने वाली कृषि/बागवानी वस्तुओं के लिए है, जो एमएसपी के अंतर्गत नहीं आते हैं। यह योजना राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों के अनुरोध पर उस स्थिति में लागू की जाती है, जब पिछले सामान्य मौसम की दरों की तुलना में बाजार में कीमतों में कम से कम 10% की कमी होती है।